शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी भजन

शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी भजन

(मुखड़ा)
शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी,
जिसपे पड़ने लगी,
देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,
संवरने लगी।।
(अंतरा 1)


माँ के पावन नवराते आ गए,
घर-घर में जगराते होने लगे,
जिस घर आँगन माँ की पावन
ज्योति जगी, हाँ ये ज्योति जगी,
देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,
संवरने लगी।।
(अंतरा 2)

आजा बनके सवाली माँ के द्वार पे,
तेरा जीवन संवर जाए माँ के नाम से,
जो भी दर आया गया नहीं,
खाली कभी, खाली कभी,
देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,
संवरने लगी।।
(अंतरा 3)

ज्वाला माँ तेरे सब दुःख हरेगी,
चिंतपूर्णी माँ तेरी सारी चिंता हरे,
सच्चे मन से कर ले जो,
मैया की भक्ति, माँ की भक्ति,
देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,
संवरने लगी।।
(अंतरा 4)

अष्टमी का देखो वो दिन आ गया,
कंजकों का बुलावा लगने लगा,
हलवा-पूरी का भोग लगाओ,
करो आरती, करो आरती,
देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,
संवरने लगी।।
(पुनरावृत्ति - मुखड़ा)

शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी,
जिसपे पड़ने लगी,
देखो तक़दीर उसकी संवरने लगी,
संवरने लगी।।


नवरात्री स्पेशल | शेरावाली की नज़र जिसपे पड़ने लगी | Sherawali Ki Nazar | Mukesh Kumar

सुन्दर भजन में माँ शेरावाली की कृपा का उदगार है। उनकी दृष्टि जिस पर पड़ती है, उसका जीवन मंगलमय हो जाता है। माँ के पावन नवरात्र के आगमन से घर-घर में आराधना और भक्ति की गूंज उठती है, जिससे वातावरण दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।

माँ के द्वार पर सच्ची श्रद्धा से उपस्थित होने से जीवन में नवीकरण और समर्पण का भाव उत्पन्न होता है। उनकी कृपा से कोई भी भक्त खाली नहीं लौटता, हर मन को आश्रय और शक्ति मिलती है। ज्वालामाई और चिंतपूर्णी माँ, भक्तों के समस्त कष्ट और चिंता को दूर कर देती हैं, जिससे जीवन में सुख और संतोष का संचार होता है।

अष्टमी का दिन विशेष महत्व रखता है, जब कन्याओं का पूजन किया जाता है, और भक्तजन भक्ति से माँ की आरती करते हैं। इस दिव्य अनुष्ठान से मन को पवित्रता और आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ की भक्ति जीवन को सहजता और आनंद से भर देती है, जिससे हर तक़दीर संवरती है और हर मन दिव्यता से ओतप्रोत हो जाता है। माँ की कृपा से जीवन में श्रद्धा, शक्ति और समर्पण का प्रकाश बना रहता है।

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