हारे का सहारा है ये बाबा

हारे का सहारा है ये बाबा

हारे का सहारा है,
ये बाबा, हारे का सहारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।

शीश का दानी देव निराला,
बाबा लीले घोड़े वाला,
लखदातार ये दीनदयाला,
लखदातार ये दीनदयाला,
साथी हमारा है,
ये बाबा, साथी हमारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।

खाटू में दरबार लगाए,
मोरछड़ी से सुख बरसाए,
बिगड़ी भगत की पल में बनाए,
बिगड़ी भगत की पल में बनाए,
जादूगारा है,
ये बाबा, जादूगारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।

जो भी इनकी शरण में आया,
पल में उसको गले से लगाया,
हारे को ‘सोनू’ इसने जिताया,
हारे को ‘सोनू’ इसने जिताया,
देवों में न्यारा है,
ये बाबा, देवों में न्यारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।

हारे का सहारा है,
ये बाबा, हारे का सहारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है,
ये श्याम धणी तो अपनी,
नैया का किनारा है।।


श्रीश्यामजी का रूप अद्वितीय है—वे दीनदयालु हैं, शीश का दान देने वाले हैं, और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उनका दरबार हर भक्त के लिए सुख-शांति का स्रोत है, जहाँ उनकी कृपा अमृत की तरह बरसती है। जो भी उनके द्वार पर आता है, वे उसे प्रेम से स्वीकार करते हैं, उसे संबल देते हैं, और उसकी हर कठिनाई को दूर करने का संकल्प लेते हैं।
 
जीवन के संघर्षों में जब मन थक जाता है, तब एक ऐसा स्नेहिल और सशक्त आश्रय मिलता है जो हर कमजोर को मजबूती प्रदान करता है। यह आश्रय केवल बाहरी सहारा नहीं, बल्कि आत्मा की गहराई से जुड़ा एक अनमोल सहारा होता है, जो न केवल संकटों को पार करने की शक्ति देता है, बल्कि जीवन की नाव को स्थिर किनारे तक पहुंचाता है। ऐसी अनुभूति में एक दिव्य शक्ति का अस्तित्व महसूस होता है, जो हर हारे हुए को पुनः उठने का साहस देती है।

जब जीवन की नाव तूफानों में डोलती है, तब वह शक्ति न केवल मार्गदर्शक बनती है, बल्कि एक स्नेहिल साथी की तरह हर कदम पर साथ निभाती है। यह साथी अपने दान और करुणा से मनुष्य के मन को शांति प्रदान करता है, उसकी हर कमी पूरी करता है और जीवन के हर संकट को अवसर में बदल देता है। इस शक्ति के सामने संसार की सारी विपत्तियाँ भी क्षीण हो जाती हैं, क्योंकि वह हर बिगड़ी हुई स्थिति को पल में सुधारने की क्षमता रखती है।

ऐसे दिव्य स्नेह में डूबे हुए मनुष्य को यह अनुभव होता है कि वह अकेला नहीं है। जो भी इस शरण में आता है, उसे अपनत्व और प्रेम की छाँव मिलती है, जो उसे न केवल बाहरी सुरक्षा देती है, बल्कि आंतरिक आत्मविश्वास से भी भर देती है। यह अपनापन और दया की अनुभूति मनुष्य को जीवन की जंग में विजेता बनाती है, और वह अपने आप को देवताओं के बीच भी विशेष समझने लगता है।

संसार में अनेक देवता और शक्तियाँ हैं, परंतु जब कोई शक्ति इतनी व्यापक और मर्मस्पर्शी हो कि वह हर हारे हुए को जीत दिला सके, हर मनुष्य की नाव को किनारे तक पहुंचा सके, तो वह शक्ति अनन्य और अद्वितीय हो जाती है। इसे पहचानना और उस पर पूर्ण विश्वास रखना जीवन को सरल और सार्थक बना देता है। 
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