हे री माई मेरा खाटू वाला राखे भजन
हे री माई मेरा खाटू वाला राखे सब की लाज भजन
हे री माई मेरा खाटू वाला,राखे सब की लाज
बैर करे न कभी किसी से,
बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।
जिस दिन से मैं हुआ श्यामकारी बदले है दिन रात मेरे,
हर पल यही मांगू दुआ री करता राहु दर के फेरे,
यु ही सजे रहे श्याम की धुन में मेरे कल और आज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।
चलके जरा तू देख तो माँ एक बारी मेरे कहे से,
खाली नहीं लौटा कोई भी आके बाबा जी के दर से,
भक्ति भाव की बात जरा सी दुनिया समझे राज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।
जब भी कभी दुखयारी दिल की आहे मुझे दे सुनाई,
उस पल मुझे माँ बाबा की सूरत देती वह पे दिखाई,
कहे बलजीत ये बाबा मेरे सिर का हो गया ताज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
बैर करे न कभी किसी से,
बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।
जिस दिन से मैं हुआ श्यामकारी बदले है दिन रात मेरे,
हर पल यही मांगू दुआ री करता राहु दर के फेरे,
यु ही सजे रहे श्याम की धुन में मेरे कल और आज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।
चलके जरा तू देख तो माँ एक बारी मेरे कहे से,
खाली नहीं लौटा कोई भी आके बाबा जी के दर से,
भक्ति भाव की बात जरा सी दुनिया समझे राज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
राखे सब की लाज।
जब भी कभी दुखयारी दिल की आहे मुझे दे सुनाई,
उस पल मुझे माँ बाबा की सूरत देती वह पे दिखाई,
कहे बलजीत ये बाबा मेरे सिर का हो गया ताज,
बैर करे न कभी किसी से बिगड़े बनाये काम,
हे री माई मेरा खाटू वाला,
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सुन्दर भजन में खाटू वाले बाबा की असीम कृपा और भक्तों की अटल श्रद्धा को दर्शाया गया है। यह भाव प्रकट करता है कि बाबा हर किसी की लाज रखते हैं, बिना भेदभाव सभी पर अपनी कृपा बरसाते हैं। उनकी छत्रछाया में कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता—हर भक्त के जीवन में उनके आशीर्वाद से नई ऊर्जा और दिशा मिलती है।
भक्तों की यह अनुभूति कि बाबा बिना किसी द्वेष के बिगड़े हुए कार्य भी सुधार देते हैं, उन्हें जीवन में दृढ़ विश्वास और संबल प्रदान करती है। जब कोई श्यामकारी हो जाता है, उसके जीवन में अनोखा परिवर्तन आता है—हर दिन और रात बाबा के नाम से आनंदमय हो जाती है। यही आस्था उसे बार-बार दरबार के फेरे लगाने को प्रेरित करती है, जहाँ भक्ति की सुगंध जीवन को मधुर बना देती है।
बाबा की महिमा ऐसी है कि उनके दर से कोई खाली नहीं लौटता। सच्चे भाव से जो भी वहां आता है, उसे प्रेम और आशीर्वाद मिलता है। यह भजन इस सत्य को उजागर करता है कि जीवन में जब भी पीड़ा और दुख सताए, बाबा का स्मरण करने से हृदय को शांति प्राप्त होती है। उनकी छवि एक प्रकाश पुंज की तरह जीवन को दिशा देती है। यह विश्वास कि बाबा हमारे सिर का ताज बन चुके हैं, श्रद्धालुओं को नई शक्ति और उमंग प्रदान करता है।
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Author - Saroj Jangir
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