तूने थामा जो हाथ मेरा श्याम भजन
तूने थामा जो हाथ मेरा श्याम
तूने थामा जो हाथ मेरा श्याम कारवा मेरा चलने लगा,आया था दर पे तेरे चोकठ पे तेरी रोया था,
तूने थामा जो हाथ मेरा श्याम कारवा मेरा चलने लगा,
दर दर मैं भटका ठोकर भी खाया मिलने से पहले तुझे,
अपने भी रूठे पराये भी छुटे जुड़ने से पहले तुझे,
अनजान सारे रिश्ते हुए श्याम अपने,
तूने थामा जो हाथ मेरा श्याम कारवा मेरा चलने लगा,
जब से सुना मैंने इक द्वार ऐसा गया जो न हारा कभी,
संकट जो आया मुझपे कभी तो आ कर सम्बाला कभी,
अंधेरो में रोशन किया तूने जीवन हमारा,
तूने थामा जो हाथ मेरा श्याम कारवा मेरा चलने लगा,
जीवन में छाई मेरे बहारे खुशिया ही खुशियाँ मिली,
चाहत से बड कर किया तूने इतना आयुस ने न सोचा कभी,
निकिता की ये कमाना दर न छुटे तुमहरा,
तूने थामा जो हाथ मेरा श्याम कारवा मेरा चलने लगा,
सुन्दर भजन में श्याम की कृपा और भक्ति का गहरा संबंध झलकता है। यह भाव दर्शाता है कि जब जीवन के संघर्षों ने थकाकर निराश कर दिया था, तब बाबा की शरण में आने से सब कुछ बदल गया। ठोकरें खाकर, अपनों से दूर होकर जो व्यक्ति भटका था, उसे बाबा ने संबल दिया और नया मार्ग दिखाया।
जब से उनकी शरण मिली, जीवन की दिशा ही बदल गई—रिश्ते, परिस्थितियाँ और मन के भाव सब कुछ उज्जवल हो गया। श्याम के प्रेम में डूबा भक्त अब हर सुख-दुख को सहजता से स्वीकार करता है, क्योंकि उसे विश्वास है कि बाबा कभी हारने नहीं देंगे। कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी आएं, उनकी कृपा से जीवन प्रकाशमय हो जाता है।
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