द्रौपदी पुकारे भैया आजा मुरारी रोते रोते
द्रौपदी पुकारे भैया आजा मुरारी रोते रोते
द्रौपदी पुकारे, भैया आजा मुरारी रोते-रोते,
खींच के कर उघाड़ी साड़ी कर रहे,
देर कन्हैया होते-होते।
आजा मोहन, आजा मोहन, आजा मोहन...
वाह रे विधाता, कौन-से दिन ये आज मुझे दिखलाए,
पांचों पति बलधारी खड़े हैं, नार झुकाए,
कुछ समझ न आए, लाज तू ही अब बचाए,
मैं हूं शरण में तेरी, लाज तेरी ही जाए,
करती दुहाई कान्हा, अश्रु से मुख धोते-धोते,
खींच के कर उघाड़ी साड़ी कर रहे...
पुत्र मोह में ससुर हमारे आंखों पे पर्दा चढ़ाए,
भाभी-मां की दहलीज लांघे, कौन इन्हें समझाए,
कौन अपना, पराया? अपनों ने ही फंसाया,
आज रिश्ते हुए बेघर, खेल ऐसा है रचाया,
जाग जा मुरारी, केशव रे, तू न जाना सोते-सोते,
खींच के कर उघाड़ी साड़ी कर रहे...
दोनों हाथ उठाकर बोली, सुन ले बंसीवाले,
तन-मन की अब नैया मैंने कर दी तेरे हवाले,
मेरी सुन ले मुरलीवाले, दुनिया देगी अब मिसाले,
लाज मेरी लुट रही है, लाज आके तू बचा ले,
प्रकटे मुरारी, लाज जाने न दूंगा खोते-खोते,
खींच के कर उघाड़ी साड़ी कर रहे...
खींच के कर उघाड़ी साड़ी कर रहे,
देर कन्हैया होते-होते।
आजा मोहन, आजा मोहन, आजा मोहन...
वाह रे विधाता, कौन-से दिन ये आज मुझे दिखलाए,
पांचों पति बलधारी खड़े हैं, नार झुकाए,
कुछ समझ न आए, लाज तू ही अब बचाए,
मैं हूं शरण में तेरी, लाज तेरी ही जाए,
करती दुहाई कान्हा, अश्रु से मुख धोते-धोते,
खींच के कर उघाड़ी साड़ी कर रहे...
पुत्र मोह में ससुर हमारे आंखों पे पर्दा चढ़ाए,
भाभी-मां की दहलीज लांघे, कौन इन्हें समझाए,
कौन अपना, पराया? अपनों ने ही फंसाया,
आज रिश्ते हुए बेघर, खेल ऐसा है रचाया,
जाग जा मुरारी, केशव रे, तू न जाना सोते-सोते,
खींच के कर उघाड़ी साड़ी कर रहे...
दोनों हाथ उठाकर बोली, सुन ले बंसीवाले,
तन-मन की अब नैया मैंने कर दी तेरे हवाले,
मेरी सुन ले मुरलीवाले, दुनिया देगी अब मिसाले,
लाज मेरी लुट रही है, लाज आके तू बचा ले,
प्रकटे मुरारी, लाज जाने न दूंगा खोते-खोते,
खींच के कर उघाड़ी साड़ी कर रहे...
कृष्ण भजन - तुम्ही आसरा हो, तुम्ही हो किनारा | Tumhi Aasra Ho | Geetu Arora
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Song: Tumhi Aasra Ho
Singer: Geetu Arora
Music: Ramesh Mishra
Lyricist: Raju Bawra
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Music: Ramesh Mishra
Lyricist: Raju Bawra
द्रौपदी की करुण पुकार श्रीकृष्ण, मुरारी, के चरणों में है, जो उसकी लाज बचाने की याचना करती है। सभा में साड़ी खींची जा रही, पाँच बलशाली पति और ससुर मौन, अपनों ने ही फँसाया। रिश्तों का मोल खो गया, विधाता ने कठिन दिन दिखाए। द्रौपदी का हृदय टूटा, अश्रु से मुख धोया, पर विश्वास अटल कि कन्हैया उसकी शरण सुनेंगे। दोनों हाथ उठाकर उसने तन-मन मुरलीवाले को सौंप दिया, उनकी कृपा की आस में। मुरारी प्रकट हुए, वचन दिया कि लाज न खोने देंगे। यह कृष्ण भक्ति का आलम है, जहाँ साधक की पुकार पर प्रभु तुरंत पहुँचते हैं, उसकी लाज और विश्वास को अक्षुण्ण रखते, जीवन को कृपा और शक्ति से संवारते हैं।
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Author - Saroj Jangir
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