महफिल रूहा दी मेरे सतगुरु लाई भजन

महफिल रूहा दी मेरे सतगुरु लाई भजन

 
महफिल रूहा दी मेरे सतगुरु लाई भजन

महफ़िल रूहां दी मेरे सतगुरु लाई है,
जेहड़ा आ बैठ्या, उसनूँ मस्ती छाई है।।

आओ सैयो जी, कुट पीके देखो जी,
पहले पीके ते फिर जी के देखो जी,
जेहड़ा पी लैंदा, उसने होश गवाई है,
जेहड़ा पी लैंदा, उसने होश गवाई है।।

लोहा पारस सोहणा बन जान्दा है,
मेरा सतगुरु अपने जेहा बनांदा है,
युती दे नाल सतगुरु कुट पीलाई है,
जेहड़ा पी लैंदा, उसने मस्ती पाई है।।

जेहड़ा पी लैंदा, उसदी दशा अनोखी है,
लेकिन सैयो नी, एह पौड़ी ओखी है,
जेहड़ा पी लैंदा, करम कमाई है,
जेहड़ा पी लैंदा, उसनूँ रहमत आई है।।

सतगुरु मेरे ने, जेहड़े भर-भर देन्दे ने,
दुनिया मतलब दी, जो कुछ ना देन्दी है,
आशिक-प्रेमी ने इक विक लगाई है,
जेहड़ा पी लैंदा, उसनूँ जन्नत पाई है।।



Mehfil Rooha Di Mere Satguru Laiye | Didi Alka Goyal Ji | Aaradhya Bhakti

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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