हमें श्याम तुमसे बहुत प्यार है भजन

हमें श्याम तुमसे बहुत प्यार है भजन

हमें श्याम तुमसे बहुत प्यार है
तेरे सिवा कुछ भी ना दरकार है

मोहब्बत तुम्ही से इबादत तुम्ही से
है हम प्रेमियों की हिफाजत तुम ही से
तेरे जैसे दिलबर की दरकार है
हमें श्याम तुमसे बहुत प्यार है

तुमने अगर जो ठुकराया प्यारे
बोलो जीए फिर किसके सहारे
तेरे ही करम से यह परिवार है
हमें श्याम तुमसे बहुत प्यार है

रसिक तेरा ना एहसान भूले
भूले जमाना चाहे तेरा दर ना भूले
मुस्कान मेरी तेरा द्वार है
हमें श्याम तुमसे बहुत प्यार है


 
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण की गहन अनुभूति प्रदर्शित की गई है। यह भाव भक्त के भीतर उठने वाली उस सच्ची पुकार को दर्शाता है, जो ईश्वर के सान्निध्य के बिना अधूरी प्रतीत होती है। भक्ति की यह अवस्था बताती है कि जब मनुष्य ईश्वर के प्रेम में डूब जाता है, तब संसार की कोई अन्य इच्छा शेष नहीं रहती। मोह, माया, प्रतिष्ठा—सबकुछ गौण हो जाता है, क्योंकि आत्मा केवल श्रीकृष्णजी के स्नेह में ही संतोष प्राप्त करती है।

श्रद्धा की यह गहराई ईश्वर के आशीर्वाद को ही जीवन का आधार मानती है। जब भक्त यह स्वीकार कर लेता है कि केवल उनके करुणामय चरण ही उसके अस्तित्व का संबल हैं, तब वह अपने समस्त विचारों, भावनाओं और सांसारिक इच्छाओं को प्रभु के प्रति समर्पित कर देता है।
 
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