कन्हैया तेरी फिर फिर जात सगाई

कन्हैया तेरी फिर-फिर जात सगाई

कन्हैया तेरी, ओ हो रे,
कन्हैया तेरी,
फिर-फिर जात सगाई
सो लाला तेरी,
फिर-फिर जात सगाई।
बरसाने वृषमानु-नंदिनी,
बरसाने वृषमानु-नंदिनी,
वहाँ तेरी बात चलाई
देखत सुनत तेरे अवगुन,
अरे देखत सुनत तेरे अवगुन,
उन फेरे बामन नाई ||
सो लाला तेरी,
कन्हैया तेरी, ओ हो रे,
कन्हैया तेरी,
फिर-फिर जात सगाई.

दूध दही घर में बहुतेरा,
दूध दही घर में बहुतेरा,
माखन और मलाई
खा ले पी ले और लुटा ले,
खा ले पी ले और लुटा ले,
चोरी छोड़ कन्हाई ||
कन्हैया तेरी, ओ हो रे,
कन्हैया तेरी,
फिर-फिर जात सगाई

कन्हैया का जाट भक्त था ।।तै घडी बांध ल श्याम धणी सही समय पर आवैं ।। स्वर-बेबी जया किशोरी

भक्तों के हर दुःख दर्द दूर करते हैं श्री खाटू श्याम जी : श्री श्याम बाबा को खाटू नरेश भी कहा जाता है और अपने भक्तों के हर दुःख दर्द दूर करते हैं। श्री श्याम बाबा सीकर जिले के खाटू नगर में विराजमान है। श्री खाटू श्याम बाबा को श्री कृष्ण जी से आशीर्वाद प्राप्त था की वे कलयुग में कृष्ण जी के अवतार के रूप में पूजे जाएंगे और इनकी शरण में आने वाले की हर पीड़ा को स्वंय भगवान् श्री कृष्ण हर लेंगे। श्री खाटू श्याम जी के मुख मंदिर के अलावा दर्शनीय स्थलों में श्री श्याम कुंड और श्याम बगीची भी हैं जो मंदिर परिसर के पास में ही स्थित हैं। 

दर भजन में श्रीकृष्णजी के प्रति प्रेम और भक्ति का रस भरा भाव उभरता है, जो उनके राधारानी के साथ अनूठे बंधन को चंचलता से दर्शाता है। यह ऐसा है, जैसे गाँव की गलियों में सखियाँ श्रीकृष्णजी की सगाई की बातें मस्ती और प्यार से करती हों। बरसाने की वृषभानु-नंदिनी राधारानी के साथ उनकी सगाई की चर्चा उस अनंत प्रेम का प्रतीक है, जो बार-बार नया रंग ले आता है, श्रीकृष्णजी के अवगुणों का जिक्र, जैसे माखन-मलाई की चोरी, उनके बाल-सुलभ लीलाओं को दर्शाता है, जो भक्त के मन को मोह लेता है। यह भाव है, जैसे कोई अपने शरारती प्रिय की हरकतों पर हँसते हुए प्यार जताता है। दूध-दही और माखन का घर में भरा होना, और श्रीकृष्णजी का उसे खा-पीकर लुटाना, उनकी मस्ती और उदारता को दिखाता है, जैसे कोई अपने घर की खुशहाली को सबके साथ बाँटता हो।

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