जब कोई नहीं आता तब आता यही है,
माझी बन नैया पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
आँधी और तूफानों से लगता न डर,
दुनिया की अब मुझको को न फ़िक्र,
रहमत की मुझपे बरसाते हो गई,
जबसे सांवरे से मुलाक़ात हो गई,
उलझन मेरी सारी सुलझाता यही है,
माझी बन नइयाँ पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
दर पे तेरे जब से आये है हम,
कभी न रुलाया खाके कहते कसम,
अपनों से ज्यादा मुझे प्यार मिल गया,
दर पे तेरे श्याम परिवार मिल गया,
प्रेमी से प्रेमी को मिलता यही है,
माझी बन नइयाँ पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
तेरा ये सरूर मेरे मन मे चढ़ा,
धीरे धीरे बाबा मैं भी आगे बढ़ा,
भजनो को जब से मैं गाने लगा,
जीवन से मेरे अँधेरा जाने लगा,
डूबे सूरज को तो उगाता यही है,
माझी बन नइयाँ पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
श्री खाटू श्याम जी भजन
जब कोई नहीं आता तब आता यही है,
माझी बन नैया पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
माझी बन नैया पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
आँधी और तूफानों से लगता न डर,
दुनिया की अब मुझको को न फ़िक्र,
रहमत की मुझपे बरसाते हो गई,
जबसे सांवरे से मुलाक़ात हो गई,
उलझन मेरी सारी सुलझाता यही है,
माझी बन नइयाँ पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
दर पे तेरे जब से आये है हम,
कभी न रुलाया खाके कहते कसम,
अपनों से ज्यादा मुझे प्यार मिल गया,
दर पे तेरे श्याम परिवार मिल गया,
प्रेमी से प्रेमी को मिलता यही है,
माझी बन नइयाँ पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
तेरा ये सरूर मेरे मन मे चढ़ा,
धीरे धीरे बाबा मैं भी आगे बढ़ा,
भजनो को जब से मैं गाने लगा,
जीवन से मेरे अँधेरा जाने लगा,
डूबे सूरज को तो उगाता यही है,
माझी बन नइयाँ पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,
श्री खाटू श्याम जी भजन
जब कोई नहीं आता तब आता यही है,
माझी बन नैया पार लगाता यही है,
के हारे का सहारा यही है,