खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे हो
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे हो
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे हो,रस्ते के पथरो को तुम हीरा बना रहे हो,
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे।
हाथो में न लकीरे मेरे ना कुछ ललाटे,
तेरी दया से जी रहा बाबा मैं ठाठ से,
कैसे करू मैं शुकरियाँ इतना लुटा रहे हो,
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे।
बांका न बाल कर सके आंधी हो या तूफ़ान,
मैंने जो रख दियां आप के चरणों में अपनी जान,
क्या अच्छा क्या बुरा प्रभु हर पल सीखा रहे हो,
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे।
कुछ ऐसा करदो साँवरे छूटे ना तेरा हाथ,
अब हर जन्म ललित मिले बाबा तुम्हारा साथ,
मिलो को दुनिया प्रभु पल पल मिटा रहे हो,
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे।
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे।
हाथो में न लकीरे मेरे ना कुछ ललाटे,
तेरी दया से जी रहा बाबा मैं ठाठ से,
कैसे करू मैं शुकरियाँ इतना लुटा रहे हो,
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे।
बांका न बाल कर सके आंधी हो या तूफ़ान,
मैंने जो रख दियां आप के चरणों में अपनी जान,
क्या अच्छा क्या बुरा प्रभु हर पल सीखा रहे हो,
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे।
कुछ ऐसा करदो साँवरे छूटे ना तेरा हाथ,
अब हर जन्म ललित मिले बाबा तुम्हारा साथ,
मिलो को दुनिया प्रभु पल पल मिटा रहे हो,
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे।
खाटू मे बैठ सांवरे दुनिया चला रहे हो Khatu Shyam Ji Bhajan
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी की व्यापक कृपा और उनकी लीला का अनूठा चित्रण है। यह भाव दर्शाता है कि जीवन के कष्टों और संघर्षों में जब कोई राह नहीं सूझती, तब उनकी कृपा ही मार्गदर्शन करती है। उनकी शरण में आकर पत्थर भी हीरा बन जाता है—यह एक गहरी आध्यात्मिक अनुभूति है, जो बताती है कि जब व्यक्ति परमात्मा पर अटूट श्रद्धा रखता है, तब उसके जीवन में भी दिव्यता का प्रकाश आ जाता है।
इस भजन में यह अनुभूति भी प्रकट होती है कि भाग्य और लकीरों से परे, केवल प्रभु का आशीर्वाद ही वास्तविक संबल है। जब सांसारिक कठिनाइयाँ मार्ग अवरुद्ध करती हैं, तब उनकी कृपा हर संकट को सुगम बना देती है। उनका प्रेम इतनी गहराई से बहता है कि वह केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि जीवन को संवारने वाली शक्ति बन जाता है।
आंधी और तूफान जीवन में बाधाएँ लेकर आते हैं, लेकिन जो मनुष्य श्रीकृष्णजी के चरणों में स्वयं को समर्पित कर देता है, उसके लिए कोई संकट बाधा नहीं बन सकता। ईश्वर सदा अपने भक्तों को सीख देते हैं, उन्हें सही मार्ग पर अग्रसर करते हैं। उनका प्रेम केवल भक्ति का उत्तर नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाली प्रेरणा है।
भजन के भाव में एक सुंदर प्रार्थना भी छिपी है—प्रभु की कृपा का अनुभव करने वाला मनुष्य यही चाहता है कि यह कृपा कभी न छूटे। हर जन्म में यही दिव्य आश्रय मिले, यही प्रेम बना रहे, यही सत्य बना रहे। यह भाव व्यक्त करता है कि श्रीकृष्णजी का साथ ही परम आनंद और शांति का स्रोत है।
इस भजन का सार यही है—जीवन में कोई भी संकट क्यों न आए, जब श्रीकृष्णजी की कृपा बनी रहती है, तब हर मुश्किल अवसर जीवन को संवारने वाली शक्ति बन जाता है। उनके चरणों में श्रद्धा रखने वाला भक्त सदा सुख और शांति प्राप्त करता है।
इस भजन में यह अनुभूति भी प्रकट होती है कि भाग्य और लकीरों से परे, केवल प्रभु का आशीर्वाद ही वास्तविक संबल है। जब सांसारिक कठिनाइयाँ मार्ग अवरुद्ध करती हैं, तब उनकी कृपा हर संकट को सुगम बना देती है। उनका प्रेम इतनी गहराई से बहता है कि वह केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि जीवन को संवारने वाली शक्ति बन जाता है।
आंधी और तूफान जीवन में बाधाएँ लेकर आते हैं, लेकिन जो मनुष्य श्रीकृष्णजी के चरणों में स्वयं को समर्पित कर देता है, उसके लिए कोई संकट बाधा नहीं बन सकता। ईश्वर सदा अपने भक्तों को सीख देते हैं, उन्हें सही मार्ग पर अग्रसर करते हैं। उनका प्रेम केवल भक्ति का उत्तर नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाली प्रेरणा है।
भजन के भाव में एक सुंदर प्रार्थना भी छिपी है—प्रभु की कृपा का अनुभव करने वाला मनुष्य यही चाहता है कि यह कृपा कभी न छूटे। हर जन्म में यही दिव्य आश्रय मिले, यही प्रेम बना रहे, यही सत्य बना रहे। यह भाव व्यक्त करता है कि श्रीकृष्णजी का साथ ही परम आनंद और शांति का स्रोत है।
इस भजन का सार यही है—जीवन में कोई भी संकट क्यों न आए, जब श्रीकृष्णजी की कृपा बनी रहती है, तब हर मुश्किल अवसर जीवन को संवारने वाली शक्ति बन जाता है। उनके चरणों में श्रद्धा रखने वाला भक्त सदा सुख और शांति प्राप्त करता है।