खाटू में बैठ साँवरे दुनिया चला रहे हो
खाटू में बैठ साँवरे दुनिया चला रहे हो
खाटू में बैठ साँवरे,दुनिया चला रहे हो,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
हीरा बना रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
हाथो में ना लकीरें मेरे,
ना कुछ ललाट पे,
तेरी दया से जी रहा,
बाबा मैं ठाट से,
कैसे करू मैं शुक्रिया,
इतना लूटा रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
बांका ना बाल कर सके,
आँधी हो या तूफान,
मैने जो रख दी आपके,
चरणों में अपनी जान,
क्या अच्छा क्या बुरा प्रभु,
हरपल सीखा रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
कुछ ऐसा कर दो सांवरे,
छूटे ना तेरा हाथ,
अब हर जनम ललित मिले,
बाबा तुम्हारा साथ,
मिलों की दूरिया प्रभु,
पल पल मिटा रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
खाटू में बैठ साँवरे,
दुनिया चला रहे हो,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
हीरा बना रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
रस्ते को पत्थरो को तुम,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
हीरा बना रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
हाथो में ना लकीरें मेरे,
ना कुछ ललाट पे,
तेरी दया से जी रहा,
बाबा मैं ठाट से,
कैसे करू मैं शुक्रिया,
इतना लूटा रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
बांका ना बाल कर सके,
आँधी हो या तूफान,
मैने जो रख दी आपके,
चरणों में अपनी जान,
क्या अच्छा क्या बुरा प्रभु,
हरपल सीखा रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
कुछ ऐसा कर दो सांवरे,
छूटे ना तेरा हाथ,
अब हर जनम ललित मिले,
बाबा तुम्हारा साथ,
मिलों की दूरिया प्रभु,
पल पल मिटा रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
खाटू में बैठ साँवरे,
दुनिया चला रहे हो,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
रस्ते को पत्थरो को तुम,
हीरा बना रहे हो,
खाटू में बैठ सांवरे,
दुनिया चला रहे हो।
सुन्दर भजन में श्रीकृष्णजी की कृपा और उनकी अलौकिक शक्ति का भाव व्यक्त होता है। जब जीवन के मार्ग कठिनाइयों से भरे होते हैं, जब समस्याएँ पहाड़ की तरह सामने खड़ी होती हैं, तब केवल उनकी शरण ही संबल देती है। उनकी कृपा से जीवन रूपी पथरीले रास्ते भी कोमल बन जाते हैं, दुःख भी आनंद में परिवर्तित हो जाते हैं।
इस भजन में श्रद्धा और समर्पण का गहन भाव उजागर होता है—कोई लकीर नहीं, कोई भाग्य का लेखा-जोखा नहीं, केवल उनकी दया का प्रवाह ही जीवन को ठाठ और सुख देता है। सांसारिक गणना से परे, केवल ईश्वर की कृपा ही वास्तविक आधार है, जो मनुष्य को हर संकट से बचाती है।
आंधी-तूफान चाहे कितने भी प्रचंड हों, यदि व्यक्ति ने स्वयं को श्रीकृष्णजी के चरणों में अर्पित कर दिया हो, तो कोई बाधा उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती। प्रभु केवल संकट से रक्षा ही नहीं करते, बल्कि हर परिस्थिति में शिक्षा भी देते हैं—जीवन को संतुलित करने की, सच्चे मार्ग पर चलने की, और अपने भीतर दिव्यता को जागृत करने की।
भजन का भाव यह भी दर्शाता है कि जब मनुष्य परमात्मा से जुड़ता है, तब जन्मों-जन्मों का संबंध बन जाता है। केवल एक क्षणिक भक्ति नहीं, बल्कि हर जन्म में उनकी कृपा बनी रहे, यही सच्ची प्रार्थना है। जीवन में दूरियाँ कितनी भी हों, जब भक्त अपनी श्रद्धा अर्पित करता है, तब प्रभु स्वयं समीप आते हैं।
इस भजन का सार यही है—श्रीकृष्णजी की कृपा से जीवन संवरता है, हर कठिनाई हल्की हो जाती है, और उनकी शरण में ही शाश्वत सुख की अनुभूति होती है।
इस भजन में श्रद्धा और समर्पण का गहन भाव उजागर होता है—कोई लकीर नहीं, कोई भाग्य का लेखा-जोखा नहीं, केवल उनकी दया का प्रवाह ही जीवन को ठाठ और सुख देता है। सांसारिक गणना से परे, केवल ईश्वर की कृपा ही वास्तविक आधार है, जो मनुष्य को हर संकट से बचाती है।
आंधी-तूफान चाहे कितने भी प्रचंड हों, यदि व्यक्ति ने स्वयं को श्रीकृष्णजी के चरणों में अर्पित कर दिया हो, तो कोई बाधा उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती। प्रभु केवल संकट से रक्षा ही नहीं करते, बल्कि हर परिस्थिति में शिक्षा भी देते हैं—जीवन को संतुलित करने की, सच्चे मार्ग पर चलने की, और अपने भीतर दिव्यता को जागृत करने की।
भजन का भाव यह भी दर्शाता है कि जब मनुष्य परमात्मा से जुड़ता है, तब जन्मों-जन्मों का संबंध बन जाता है। केवल एक क्षणिक भक्ति नहीं, बल्कि हर जन्म में उनकी कृपा बनी रहे, यही सच्ची प्रार्थना है। जीवन में दूरियाँ कितनी भी हों, जब भक्त अपनी श्रद्धा अर्पित करता है, तब प्रभु स्वयं समीप आते हैं।
इस भजन का सार यही है—श्रीकृष्णजी की कृपा से जीवन संवरता है, हर कठिनाई हल्की हो जाती है, और उनकी शरण में ही शाश्वत सुख की अनुभूति होती है।