मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी
मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी
मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी,मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी,
मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।
जीना क्या श्याम बिन,एक पल है कठिन,
जीना क्या श्याम बिन,एक पल है कठिन,
याद बाबा को करते है हम रात दिन,
मुझे डर है किसका मैं जाऊँ जहां,
जहाँ पे भी मैं हूँ साँवरिया वहां,
उसी के दम से है मुस्कान है मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी,
मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।
थी मुश्किल बड़ी, ये मेरी ज़िंदगी,
थी मुश्किल बड़ी, ये मेरी ज़िंदगी,
श्याम जबसे मिला तो मिली हर खुशी,
कई फूल खुशियो के मन में खिले,
अगर एक माँगा तो लाखों मिले,
हुई ज़िंदगी अब तो आसान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी,
मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।
जाके जब भी कहा, मैंने दरबार में,
जाके जब भी कहा, मैंने दरबार में,
आई खुशियां कई मेरे परिवार में,
हमेशा ही विष्णु की सुनता है श्याम,
वो खाटू का राजा ‘सुशिल’ है गुलाम,
मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी,
मिला श्याम जबसे बढ़ी शान मेरी।
मेरा खाटू वाला है पहचान मेरी
सुन्दर भजन में परमात्मा के प्रति अटूट श्रद्धा और उनकी कृपा की महिमा प्रकट होती है। जब जीवन के उतार-चढ़ाव मनुष्य को हताश करने लगते हैं, तब ईश्वर का नाम ही वास्तविक संबल बनता है। श्रीकृष्णजी की शरण में आकर जीवन संवर जाता है, कष्ट दूर हो जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है।
यह भजन भक्त के मन की उस अवस्था को दर्शाता है जहाँ सांसारिक कठिनाइयाँ उसे निराश करने लगती हैं, लेकिन जब प्रभु की कृपा प्राप्त होती है, तब हर दुःख आनंद में बदल जाता है। श्रीकृष्णजी के नाम में वह शक्ति है जो मन को निर्भय बना देती है—जहाँ भी भक्त जाता है, वहां प्रभु की उपस्थिति उसके साथ होती है।
भजन यह भी उजागर करता है कि जब जीवन में प्रभु का साथ मिलता है, तब कठिनाइयाँ स्वतः हल हो जाती हैं। यदि कोई सच्चे भाव से उनकी शरण में जाता है, तो उसे मात्र एक नहीं, अनगिनत खुशियाँ प्राप्त होती हैं। प्रभु का आशीर्वाद वह शक्ति है, जो मनुष्य के जीवन को सरल बना देता है और उसे हर संकट से मुक्त करता है।
इस भजन में परमात्मा की अनुकंपा का भी उल्लेख है—जब भक्त उनकी ओर बढ़ता है, तब प्रभु स्वयं उसकी कठिनाइयाँ दूर करने आते हैं। उनके दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले को वह सदा आशीष देते हैं।
भजन का सार यही है—परमात्मा से जुड़ने वाला व्यक्ति सदा सुख और शांति प्राप्त करता है। जब श्रीकृष्णजी की कृपा मिल जाती है, तब जीवन संवरता है और आत्मा का आनंद बढ़ता है।
यह भजन भक्त के मन की उस अवस्था को दर्शाता है जहाँ सांसारिक कठिनाइयाँ उसे निराश करने लगती हैं, लेकिन जब प्रभु की कृपा प्राप्त होती है, तब हर दुःख आनंद में बदल जाता है। श्रीकृष्णजी के नाम में वह शक्ति है जो मन को निर्भय बना देती है—जहाँ भी भक्त जाता है, वहां प्रभु की उपस्थिति उसके साथ होती है।
भजन यह भी उजागर करता है कि जब जीवन में प्रभु का साथ मिलता है, तब कठिनाइयाँ स्वतः हल हो जाती हैं। यदि कोई सच्चे भाव से उनकी शरण में जाता है, तो उसे मात्र एक नहीं, अनगिनत खुशियाँ प्राप्त होती हैं। प्रभु का आशीर्वाद वह शक्ति है, जो मनुष्य के जीवन को सरल बना देता है और उसे हर संकट से मुक्त करता है।
इस भजन में परमात्मा की अनुकंपा का भी उल्लेख है—जब भक्त उनकी ओर बढ़ता है, तब प्रभु स्वयं उसकी कठिनाइयाँ दूर करने आते हैं। उनके दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना करने वाले को वह सदा आशीष देते हैं।
भजन का सार यही है—परमात्मा से जुड़ने वाला व्यक्ति सदा सुख और शांति प्राप्त करता है। जब श्रीकृष्णजी की कृपा मिल जाती है, तब जीवन संवरता है और आत्मा का आनंद बढ़ता है।