तेरी भोली भाली शान देख हो गया कुर्बान

तेरी भोली भाली शान देख हो गया कुर्बान मैं

तेरी भोली भाली शान देख हो गया कुर्बान मैं,
क्या मोरछड़ी जादू सा करगी सारे जहां में।

हर ग्यारस में पैदल चल के तेरे धाम पे आऊं मैं,
हो जाये दूर बीमारी सारी श्याम कुंड में नहाऊ मैं,
मंदिर की चोटी पे टाँगू लाया निशान मैं,
क्या मोरछड़ी जादू सा करगी सारे जहां में।

मैया मौरवी के लाला करनी लीले सवारी तू,
हारे का सहारा तू ही, तीन बाणधारी तू,
जिसपे फिर जाए नजर तेरी रहे तेरे ध्यान में,
क्या मोरछड़ी जादू सा करगी सारे जहां में।

कप्तान शर्मा हुआ दीवाना इस महल हरियाणा गांव,
मन मौजी सूरत तेरी खाटू वाले बाबा श्याम,
सोनू कौशिक ला गा रहे तेरे गुणगान में
क्या मोरछड़ी जादू सा करगी सारे जहां में।


सुन्दर भजन में श्री श्यामजी की अनुपम कृपा, उनकी अलौकिक महिमा और उनके प्रति भक्तों के अटूट समर्पण का भाव व्यक्त किया गया है। जब कोई सच्चे हृदय से उनकी शरण में आता है, तब वह उनकी कृपा से सभी कठिनाइयों से मुक्त होकर आत्मिक संतोष प्राप्त करता है।

श्यामजी की मोरछड़ी केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि यह उनकी कृपा का वह दिव्य माध्यम है जिससे भक्तों की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। उनकी आराधना से भक्त के जीवन में शांति, विश्वास और श्रद्धा का संचार होता है। यह भजन हमें यह संदेश देता है कि श्रीश्यामजी की भक्ति में वह अपार शक्ति है जो जीवन की समस्त बाधाओं को हर सकती है और भक्त को दिव्यता की अनुभूति करा सकती है।

इस भजन का भाव स्पष्ट करता है कि श्रीश्यामजी के सान्निध्य से ही जीवन में मंगलमय परिवर्तन आता है। जब भक्त श्रद्धा और प्रेम से उनकी भक्ति करता है, तब वह आत्मिक आनंद प्राप्त करता है। उनकी कृपा से भक्त जीवन के समस्त अवरोधों को पार कर सकता है और सच्चे विश्वास के साथ उनकी शरण में आनंदमय हो जाता है।

श्यामजी की कृपा से जीवन में हर कठिनाई समाप्त हो जाती है। जब कोई सच्चे भाव से उनकी आराधना करता है, तब उसे उनका अनुग्रह सहज रूप से प्राप्त होता है। यही इस भजन का दिव्य सार है—श्रद्धा, प्रेम और भक्ति से श्रीश्यामजी की कृपा को प्राप्त करना और उनकी भक्ति में आत्मा को परम आनंद और शांति से भर देना। यही भक्ति का सजीव स्वरूप है, जिसमें भक्त अपने तन-मन को पूर्ण रूप से श्रीश्यामजी को अर्पित करता है।

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