तूफानों से कह दो, मुझको डर नहीं लगता, मेरा खाटू वाला, हर पल मेरे साथ रहता।
क्यों करू चिंता मैं सांवरिया के होते, सौंप के इनको हम सब आराम से सोते, बारिशों से कह दो मुझको डर नहीं लगता, परिवार मेरा इनको छतरी के नीचे रहता, तूफ़ानों से कह दो मुझको डर नहीं लगता।
लाख़ हवाएं तेज चले विश्वास हमारा, मुझको मेरे शीश के दानी का है सहारा, अँधियो से कह दो मुझको डर नहीं लगता, मेरी ऊँगली पकड़े बाबा मेरे साथ चलता, तूफ़ानों से कह दो मुझको डर नहीं लगता।
फंसी भँवर में नैया मेरी पार निकलती, लहरों में भी शान से मेरी नाँव है चलती, कुंदन इन लहरों से मुझको डर नहीं लगता, मेरी नाव का माझी बन के साँवरा साथ रहता, तूफ़ानों से कह दो मुझको डर नहीं लगता।
तूफानों से कह दो, मुझको डर नहीं लगता, मेरा खाटू वाला, हर पल मेरे साथ रहता।
सुन्दर भजन में श्रीश्यामजी की अपार कृपा और उनके प्रति भक्तों के अटूट विश्वास का भाव प्रकाशित किया गया है। श्रीश्यामजी केवल संकटमोचक नहीं, बल्कि वे अपने भक्तों की रक्षा करने वाले करुणामयी स्वामी हैं। जब कोई पूर्ण श्रद्धा से उनके श्रीचरणों में समर्पित होता है, तब वह समस्त भय और कठिनाइयों से मुक्त होकर आत्मिक शांति का अनुभव करता है।
भजन का भाव यह दर्शाता है कि जीवन में चाहे कितने भी तूफान आएँ, कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ हों, श्रीश्यामजी की कृपा से सब कुछ सहज हो जाता है। वे अपने भक्तों के हाथ थामकर उन्हें हर विपत्ति से पार कराते हैं। उनकी छाया में भक्त न केवल सुरक्षित रहता है, बल्कि आत्मबल और आध्यात्मिक शक्ति से भी भर जाता है।
श्यामजी की भक्ति में वह अद्भुत स्थिरता है जो जीवन की अनिश्चितताओं को भी निरर्थक बना देती है। जब कोई प्रेम और श्रद्धा से उनकी शरण में आता है, तब उसे उनकी कृपा से जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का साहस प्राप्त होता है। उनका आशीर्वाद सदा उनके भक्तों के साथ रहता है, जिससे आत्मा को सच्चे आनंद और शांति की अनुभूति होती है।
यह भजन संदेश देता है कि श्रीश्यामजी की कृपा से ही जीवन के समस्त तूफानों को पार किया जा सकता है। जब कोई सच्चे मन से उनकी आराधना करता है, तब उसे उनका प्रेम और सुरक्षा प्राप्त होती है। यही इस भजन का दिव्य सार है—श्रद्धा, प्रेम और भक्ति से श्रीश्यामजी की कृपा को अनुभव करना और उनके नाम के सुमिरन से आत्मा को परम आनंद और शांति से भर देना। यही भक्ति का सजीव स्वरूप है, जिसमें भक्त अपने तन-मन को पूर्ण रूप से श्रीश्यामजी को अर्पित करता है।