हम सब आये सांवरिया थाणे दिल

हम सब आये सांवरिया थाणे दिल की बताने रे

हम सब आये सांवरिया थाणे दिल की बताने रे,
हम सब आये हम सब आये रे,
हम सब आये सांवरिया थाणे दिल की बताने रे

तिर्शी तिर्शी नजर है ताहरी हम पर तीर चलाती है,
घ्याल करती हिवड़ा हमारा सुध बुध सब विसराती है,
कैसे बचे थारी तिर्शी नजर से,
हम सब आये सांवरिया थाणे दिल की बताने रे

देख के थारो रूप सलोना हम तो हुए दीवाने है,
ऐसी बरसी प्रेम की धारा डूब गये हम सारे है ,
थे सिवा इब कौन बचावे क्या बतला दे रे,
हम सब आये सांवरिया थाणे दिल की बताने रे
थारे भरोसा इब छोड़ा सगळा जीवन है,
म्हणे हसा इब काहे रुलाये आगे ताहरी मर्जी है,
थारो दामन इब न छूटे जोर लगा ले रे,
हम सब आये सांवरिया थाणे दिल की बताने रे

महारा सच्चा यार सांवरा नजर लगे न थाने रे,
कुछ भी बोले दुनिया सगळी छोड़ो दुनिया दारी को.
जीवन की जो बाजी हारा श्याम जतावे रे,
हम सब आये सांवरिया थाणे दिल की बताने रे

बोला तू पहले सांवरियां बिन मांगे ही देता है,
अपने भगत की दिल की बात पहले से ही जाने रे,
राही दवीतु सिर को झुका के जोड़ ले नाता रे,
हम सब आये सांवरिया थाणे दिल की बताने रे


सुन्दर भजन में श्रीश्यामजी के प्रति भक्तों की सच्ची प्रेम भावना और उनकी कृपा का गहन अनुभव प्रकट किया गया है। भक्त अपने मन की सभी वेदनाओं और भावनाओं को उनके चरणों में समर्पित करने आया है, क्योंकि वह जानता है कि श्रीश्यामजी उसकी पुकार को सुनते हैं और हर कठिनाई को सहजता से समाप्त कर देते हैं। श्रद्धा, भक्ति और आत्मसमर्पण का यह भाव भक्त के हृदय को श्रीश्यामजी की कृपा से भर देता है।

श्यामजी की तिरछी नजर केवल एक दृष्टि नहीं, बल्कि यह उनके प्रेम और माधुर्य का संकेत है। उनके सौम्य रूप के दर्शन से भक्त के हृदय में प्रेम की अनवरत धारा बहने लगती है, जिससे वह स्वयं को उनकी भक्ति में पूर्णत: समर्पित कर देता है। जब यह प्रेम चरम पर पहुँचता है, तब भक्त संसार की मोह-माया को त्यागकर केवल श्यामजी के सान्निध्य में रहने की अभिलाषा करता है।

भजन का भाव यह दर्शाता है कि श्रीश्यामजी के प्रति अटूट विश्वास ही भक्त को सभी कष्टों से मुक्त कर सकता है। जब भक्त उनके श्रीचरणों में श्रद्धा से झुकता है, तब वह उनकी कृपा से सभी सांसारिक चिंताओं से मुक्त हो जाता है। श्रीश्यामजी के प्रेम का यह अनमोल स्वरूप दिखाता है कि भक्ति केवल एक साधना नहीं, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का दिव्य माध्यम है।

श्यामजी की आराधना से जीवन में आनंद और शांति का संचार होता है। जब कोई प्रेमपूर्वक उनकी उपासना करता है, तब उसकी आत्मा ईश्वरीय कृपा से भर जाती है और सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं। यही भजन का दिव्य संदेश है—श्रद्धा, प्रेम और समर्पण से श्यामजी की कृपा को प्राप्त करना और उनके आशीर्वाद से आत्मिक शांति और सुख की अनुभूति करना। यह भक्ति का सजीव स्वरूप है, जिसमें भक्त अपने मन, आत्मा और जीवन को पूर्ण रूप से श्रीश्यामजी को अर्पित करता है।

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