काली माता चालीसा लिरिक्स Kali Mata Chalisa Lyrics

महाकाली के रूप को देवी के सभी रूपों में से सबसे शक्तिशाली माना जाता है। काली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘काल’ शब्द से हुई है। हिन्दू शास्त्रों में मां काली को अभिमानी राक्षसों के संहार के लिए जाना जाता है। आमतौर पर मां काली की साधना सन्यासी और तांत्रिक करते हैं। यह भी मान्यता है कि मां काली काल का संहार कर मोक्ष प्रदान करती हैं महाकाल की काली। 'काली' का अर्थ है समय और काल। काल, जो सभी को अपने में निगल जाता है। भयानक अंधकार और श्मशान की देवी। वेद अनुसार 'समय ही आत्मा है, आत्मा ही समय है'। मां कालिका की उत्पत्ति धर्म की रक्षा और पापियों-राक्षसों का विनाश करने के लिए हुई है। काली को माता जगदम्बा की महामाया कहा गया है। मां ने सती और पार्वती के रूप में  जन्म लिया था। सती रूप में ही उन्होंने 10 महाविद्याओं के माध्यम से अपने 10 जन्मों की शिव को झांकी दिखा दी थी। शास्‍त्रों के अनुसार मां भगवती ने दुष्‍टों का अंत करने के लिए विकराल रूप धारण किया था जिन्‍हें मां काली के नाम से जाना जाता है. इनकी आराधना से मनुष्य के सभी भय दूर हो जाते हैं.

काली माता चालीसा लिरिक्स Kali Mata Chalisa Lyrics

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॥॥दोहा ॥॥
जयकाली कलिमलहरण, महिमा अगम अपार
महिष मर्दिनी कालिका, देहु अभय अपार ॥

अरि मद मान मिटावन हारी । मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता । दुष्टदलन जग में विख्याता ॥1॥

भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला । हाथ तीसरे सोहत भाला ॥2॥

चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी । शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥3॥

अष्टम कर भक्तन वर दाता । जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी । निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥4॥

महशक्ति अति प्रबल पुनीता । तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक । कल्याणी पापी कुल घालक ॥5॥

शेष सुरेश न पावत पारा । गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा । विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥6॥

रूप भयंकर जब तुम धारा । दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे । भक्तजनों के संकट टारे ॥7॥



कलि के कष्ट कलेशन हरनी । भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं । नारद शारद पार न पावैं ॥8॥

भू पर भार बढ्यौ जब भारी । तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता । विश्वविदित भव संकट त्राता ॥9॥

कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा । उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥10॥

कलुआ भैंरों संग तुम्हारे । अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी । चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥11॥

त्रेता में रघुवर हित आई । दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला । भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥12॥

रौद्र रूप लखि दानव भागे । कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो । स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥13॥

ये बालक लखि शंकर आए । राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई । यही रूप प्रचलित है माई ॥14।

बाढ्यो महिषासुर मद भारी । पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की । पीर मिटावन हित जन-जन की ॥15॥

तब प्रगटी निज सैन समेता । नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं । तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥16॥

मान मथनहारी खल दल के । सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा । पावैं मनवांछित फल मेवा ॥17॥

संकट में जो सुमिरन करहीं । उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं । भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥18॥

काली चालीसा जो पढ़हीं । स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा । केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥19॥

करहु मातु भक्तन रखवाली । जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी । भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥20॥

॥॥दोहा॥॥

प्रेम सहित जो करे, काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना, होय सकल जग ठाठ ॥



माता काली के मंत्र जो आपको हर प्रकार से सुरक्षा, ख़ुशहाली और सफलता देते हैं. मां काली को हिंदू धर्म में एक शक्तिशाली देवी के रूप में पूजा जाता है। उन्हें देवी दुर्गा का एक रूप माना जाता है, जो नव दुर्गाओं की ऊर्जा स्रोत हैं। मां काली को अक्सर एक काले रंग की महिला के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसके चार हाथ होते हैं। उनके हाथों में एक त्रिशूल, एक खड्ग, एक डमरू और एक नरमुंड होता है। मां काली को बुरी आत्माओं और बुरी शक्तियों से रक्षा करने वाली देवी के रूप में भी पूजा जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में मां काली की पूजा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। ज्योतिषियों का मानना है कि मां काली की पूजा से जीवन में सफलता, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है। मां काली की पूजा के कई अलग-अलग तरीके हैं। उन्हें अक्सर मंत्रों का जाप करके, नमस्कार करके और मां काली को प्रसाद अर्पित करके पूजा जाता है।

भद्रकाली मंत्र
ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥

काली मंत्र
ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥

काली बीज मंत्र
ॐ क्रीं काली

तीन अक्षरी काली मंत्र
'ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं'

पांच अक्षरी काली मंत्र
ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्

सप्ताक्षरी काली मंत्र
ॐ हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा

मां काली का मंत्र
ॐ श्री कालिकायै नमः

काली मां का मंत्र
”ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वा:”

दक्षिणकाली मंत्र
ह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥

क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥
ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥

पूजा हेतु काली मंत्र
”कृन्ग कृन्ग कृन्ग हिन्ग कृन्ग दक्षिणे कलिके कृन्ग कृन्ग कृन्ग हरिनग हरिनग हुन्ग हुन्ग स्वा:”

काली गायत्री मंत्र
“ॐ महा काल्यै छ विद्यामहे स्स्मसन वासिन्यै छ धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात”

महाकाली बीज मंत्र
ॐ क्रीं कालिकायै नमः

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