पद्मावती माता की आरती

पद्मावती माता की आरती

 
पद्मावती माता की आरती

पद्मावती माता दर्शन की बलिहारीया,
मातेश्वरी माता दर्शन की बलिहारीया ||
पार्श्वनाथ महाराज वीराजे मस्तक उपर थारे -२
केंद्र, फनिन्द्र, नरेन्द्र सभी खड़े रहे नीत द्वारे |
पद्मावती माता दर्शन की बलिहारीया,
मातेश्वरी माता दर्शन की बलिहारीया ||
जो जीव थारो शरणो लीनो, सब संकट हर लीनो -२
पुत्र, पौत्र, धन, संपत्ति देकर मंगलमय कर दीनो |
पद्मावती माता दर्शन की बलिहारीया,
मातेश्वरी माता दर्शन की बलिहारीया ||
डाकन, शाकन, भूत, भवानी नाम लेत भग जावे -२
वात, पित्त, कफ, रोग मीटे और तन सुखमय हो जावे |
पद्मावती माता दर्शन की बलिहारीया,
मातेश्वरी माता दर्शन की बलिहारीया ||
दीप, धूप और पुष्पहार ले मैं दर्शन को आयो -२
दर्शन करके मात तुम्हारे, मन वांछित फल पायो |
पद्मावती माता दर्शन की बलिहारीया,
मातेश्वरी माता दर्शन की बलिहारीया ||


Padmavati Mata Aarti in Hindi - Om Jai Padmavati Maa | Navratri Aartis Songs | Hindi Bhakti Songs

पद्मावती माता की आरती में उनकी दिव्यता और करुणा की गहराई उजागर होती है। मातेश्वरी के रूप में उनकी महिमा ऐसी है कि पार्श्वनाथ महाराज, इन्द्र, फणेन्द्र, नरेन्द्र जैसे देवता भी उनके चरणों में नित्य खड़े रहते हैं। यह दर्शाता है कि उनका स्थान केवल सांसारिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक लोक में भी सर्वोच्च है। जो कोई भी उनकी शरण में आता है, वह अपने सभी संकटों से मुक्त हो जाता है। पुत्र, पौत्र, धन-संपत्ति जैसी सांसारिक इच्छाएँ भी उनके आशीर्वाद से पूर्ण होती हैं, जिससे जीवन मंगलमय बन जाता है।

उनके नाम का उच्चारण ही भय और बुरी शक्तियों को दूर कर देता है। डाकिन, शाकिन, भूत-प्रेत और अन्य नकारात्मक प्रभाव उनके नाम से दूर भाग जाते हैं। साथ ही वात, पित्त, कफ जैसी शारीरिक विकारों का नाश होता है और तन सुख-शांति का अनुभव करता है। इस प्रकार, उनका आशीर्वाद न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति का भी आधार है।

आरती के माध्यम से दीप, धूप और पुष्पों की अर्पणा करते हुए उनके दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है, जिससे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह दर्शाता है कि श्रद्धा और भक्ति से जुड़ा हुआ मनुष्य अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं में पूर्णता पा सकता है। जब भी भक्तों पर संकट आता है, तब माता की रक्षा अवश्य होती है, और वे वैरियों के अभिमान को तोड़कर सम्मान और प्रतिष्ठा प्रदान करती हैं।

भारतीय धर्म और संस्कृति में आरती, ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति और कृतज्ञता प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने का जरिया है। जैन धर्म में, तीर्थंकरों के साथ-साथ उनके शासन देव-देवियों की भी पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना की जाती है। इन्हीं में से एक प्रमुख और अत्यंत पूजनीय देवी हैं माता पद्मावती, जो 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की शासन देवी हैं। माता पद्मावती को धन, ऐश्वर्य और सभी प्रकार के संकटों से रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत भव्य और करुणामय है। वे कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और उनके मस्तक पर सर्प का फन एक छत्र की भांति सुशोभित होता है, जो भगवान पार्श्वनाथ के रक्षक, नागराज धरणेन्द्र का प्रतीक है। उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें वे विभिन्न आयुध और आशीर्वाद मुद्रा धारण करती हैं। माता का वाहन सर्प या कुक्कुट सर्प है। जैन समुदाय में उनकी मान्यता बहुत गहरी है और उन्हें 'पद्मावती माँ' या 'पार्श्व-यक्षिणी' के नाम से भी पुकारा जाता है।

Song: Shri Padmati Aarti
Album: Shri Parshva Padmavati Darshan
Singers: Hemant, Sangita & Chandrika 

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