श्री वर्द्धमान जी की आरती लिरिक्स Vardhmaan Aarti Lyrics
करौं आरती वर्द्धमानकी |पावापुर निरवान थान की टेक
राग – बिना सब जगजन तारे |
द्वेष बिना सब कर्म विदारे |
शील-धुरंधर शिव-तिय भोगी |
मनवच-कायन कहिये योगी |
करौं आरती वर्द्धमानकी
रत्नत्रय निधि परिग्रह-हारी |
ज्ञानसुधा भोजनव्रतधारी |
करौं आरती वर्द्धमानकी
लोक अलोक व्यापै निजमांहीं |
सुखमय इंद्रिय सुखदुख नाहीं |
करौं आरती वर्द्धमानकी
पंचकल्याणकपूज्य विरागी |
विमल दिगंबर अबंर-त्यागी |
करौं आरती वर्द्धमानकी
गुनमनि-भूषन भूषित स्वामी |
जगत उदास जगंतर स्वामी |
करौं आरती वर्द्धमानकी
कहै कहां लौ तुम सबजानौं |
‘द्यानत’ की अभिलाषा प्रमानौ |
करौं आरती वर्द्धमानकी