ऊँ जय मुनिसुव्रतस्वामी, प्रभु जय मुनिसुव्रतस्वामी |
भक्ति भाव से प्रणमूं, जय अंतरयामी || ऊँ जय0
राजगृही में जन्म लिया प्रभु, आनन्द भयो भारी |
सुर नर-मुनि गुण गाएँ, आरती कर थारी || ऊँ जय0
पिता तिहारे, सुमित्र राजा, शामा के जाया |
श्यामवर्ण मूरत तेरी, पैठण में अतिशय दर्शाया ||ऊँ जय0
जो ध्यावे सुख& पावे, सब संकट दूर करें |
मन वांछित फल पावे, जो प्रभु चरण धरें || ऊँ जय0
जन्म मरण, दुख हरो प्रभु, सब पाप मिटे मेरे |
ऐसी कृपा करो प्रभु, हम दास रहें तेरे || ऊँ जय0
निजगुण ज्ञान का, दीपक ले आरती करुं थारी |
सम्यग्ज्ञान दो सबको, जय त्रिभुवन के स्वामी || ऊँ जय0
भक्ति भाव से प्रणमूं, जय अंतरयामी || ऊँ जय0
राजगृही में जन्म लिया प्रभु, आनन्द भयो भारी |
सुर नर-मुनि गुण गाएँ, आरती कर थारी || ऊँ जय0
पिता तिहारे, सुमित्र राजा, शामा के जाया |
श्यामवर्ण मूरत तेरी, पैठण में अतिशय दर्शाया ||ऊँ जय0
जो ध्यावे सुख& पावे, सब संकट दूर करें |
मन वांछित फल पावे, जो प्रभु चरण धरें || ऊँ जय0
जन्म मरण, दुख हरो प्रभु, सब पाप मिटे मेरे |
ऐसी कृपा करो प्रभु, हम दास रहें तेरे || ऊँ जय0
निजगुण ज्ञान का, दीपक ले आरती करुं थारी |
सम्यग्ज्ञान दो सबको, जय त्रिभुवन के स्वामी || ऊँ जय0
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