मारे मत मइया वचन भरवाय भजन

मारे मत मइया वचन भरवाय लै भजन

मारे मत मइया, वचन भरवाय लै
वचन भरवाय लै, सौगन्ध खवाय लै।
गंगा की खवाय लै, चाहे जमुना की खवाय लै
क्षीर सागर में मइया ठाड़ो करवाय लै ॥
मारे मत मइया, वचन भरवाय लै

गइया की खवाय लै, चाहे बछड़ा की खवाय लै
नन्द बाबा के आगे ठाड़ो करवाय लै ॥
मारे मत मइया, वचन भरवाय लै

गोपिन की खवाय लै, चाहे ग्वालन की खवाय लै
दाऊ भइया के आगे कान पकराय लै ॥
मारे मत मइया, वचन भरवाय लै

बंसी की खवाय लै, चाहे कामर की खवाय लै
मेरे अपने सिर पे हाथ धर के कहवाय लै ॥
मारे मत मइया, वचन भरवाय लै

Mare Mat Maiya Vachan Bharwale || Shri Govind Bhargav Ji || Full Song || Bhakti Geet

Singer Name: Shri Govind Bhargav Ji
Copyright: Total Aastha
Vendor: A2z Music Media.

भजन में यशोदा माता और श्रीकृष्णजी के बीच की प्यारी नोक-झोक और प्रेम की ऐसी झलक है, जो मन को छू लेती है। यह एक बच्चे की तरह श्रीकृष्णजी की पुकार है, जो अपनी मइया से कहता है कि मुझे मारो मत, बल्कि अपनी सौगंध देकर वचन दो। यह भाव है कि वह गंगा, यमुना, गाय, बछड़े, या अपनी प्रिय बंसी की कसम खाकर वादा करें, जैसे कोई नटखट बालक अपनी मां से प्यार भरी शरारत करता हो।

यह मन की वह सादगी है, जो श्रीकृष्णजी को नंद बाबा, दाऊ भैया, या गोपियों के सामने खड़ा करके मइया से कसम मांगता है। यह प्रेम भरा आग्रह है कि मइया अपने हाथ से उनके सिर पर रखकर वचन दे, जैसे कोई बच्चा मां की गोद में बैठकर उसका आंचल थाम ले।

जैसे मीराबाई अपने सांवरे की हर बात में डूब जाती थीं, वैसे ही यह भजन श्रीकृष्णजी की नटखट मुस्कान और मइया के साथ उनके अनमोल रिश्ते को दर्शाता है। यह पुकार है कि मइया का प्रेम और वचन ही सांवरे का सबसे बड़ा सहारा है, जो हर शरारत को प्यार में बदल देता है।

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