अपने तड़पने की मैं तदबीर पहले कर लूँ मीर तकी मीर / Meer Taki Meer

अपने तड़पने की मैं तदबीर पहले कर लूँ मीर तकी मीर / Meer Taki Meer


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मीर तकी मीर / Meer Taki Meer

अपने तड़पने की मैं तदबीर पहले कर लूँ
तब फ़िक्र मैं करूँगा ज़ख़्मों को भी रफू का।
 यह ऐश के नहीं हैं या रंग और कुछ है
हर गुल है इस चमन में साग़र भरा लहू का।

बुलबुल ग़ज़ल सराई आगे हमारे मत कर
सब हमसे सीखते हैं, अंदाज़ गुफ़्तगू का।
 
यह शेर मीर तकी मीर का है। इस शेर में  जब वह अपनी पीड़ा को दूर कर लेता है, तो वह अपने ज़ख्मों को भरने की फिक्र कर सकता है। मीर तकी मीर कहते हैं कि दुनिया में जो कुछ भी सुंदर है, वह खून से भरा हुआ है। गुलाब भी खून से भरा हुआ है। बुलबुल को ग़ज़ल की सरदारी आगे मीर तकी मीर के मत करने चाहिए। क्योंकि सब लोग मीर तकी मीर से बात करने का अंदाज़ सीखते हैं।



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