
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
हरि मेरे जीवन प्राण आधार || श्री मीरा बाई जी का पद || श्री राजेंद्र दास जी महाराज भजन #bhajan
मीरा बाई ने इस भजन में श्री कृष्णा जी को जीवन का आधार कहा है। इस भजन में, मीरा श्री कृष्ण के बिना अपने जीवन की व्यर्थता को व्यक्त करती हैं। वह कहती हैं कि वह कृष्ण के बिना किसी भी चीज़ में आनंद नहीं ले सकती हैं। श्री कृष्ण जी के बिना जीवन का कोई भी उद्देश्य नहीं है. श्री कृष्ण जी के बिना जीवन का कोई आधार नहीं है. समस्त संसार में श्री कृष्ण जी के बिना कोई भी मीरा बाई को अच्छा नहीं लगता है, कोई भी उन्हें सुहाता है.
हरि ही जीवन का प्राण और एकमात्र आधार हैं, जिनके बिना तीनों लोकों में कुछ भी सुहावना नहीं लगता। मीरा का यह प्रेम और समर्पण सिखाता है कि सच्ची भक्ति में संसार की सारी चमक फीकी पड़ जाती है। वह अपने प्रभु की दासी बनकर केवल उनकी याद में डूबना चाहती है, और यही प्रार्थना करती है कि प्रभु उसे कभी न भूलें। जैसे मीरा ने सारा संसार देखकर भी हरि को ही चुना, वैसे ही मन को यह विश्वास है कि प्रभु की शरण में ही सच्चा सुख और आश्रय है। यह भक्ति का रस है, जो आत्मा को प्रभु के चरणों में लीन कर, हर सांस को उनकी भक्ति से जोड़ देता है।