हे री सखी देख्योरी नंद किशोर लिरिक्स

हे री सखी देख्योरी नंद किशोर लिरिक्स

हे री सखी देख्योरी नंद किशोर॥टेक॥
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल। पीतांबर झलक हरोल॥१॥
ग्वाल बाल सब संग जुलीने। गोवर्धनकी और॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। हरि भये माखन चोर॥३॥
पद का भावार्थ:
मीराबाई अपनी सखी से कहती हैं कि उन्होंने नंद किशोर (भगवान श्रीकृष्ण) को देखा है। उनके सिर पर मोर मुकुट है, कानों में मकराकृत कुंडल हैं, और वे पीतांबर पहने हुए हैं। वे ग्वाल-बालों के साथ गोवर्धन की ओर जा रहे हैं। मीराबाई कहती हैं कि उनके प्रभु गिरिधर नागर हैं, और वे माखन चोर हैं। यह भजन मीराबाई की भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अटूट भक्ति, उनके रूप और लीलाओं के प्रति उनकी श्रद्धा को प्रकट करता है।
 
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