आई फागण की ग्यारस आपा पैदल चाला

आई फागण की ग्यारस आपा पैदल चाला

आई फागण की ग्यारस,
आपा पैदल चालां ला रे,
खाटू श्याम जी,
हारे का सहारा म्हारो,
लखदातार खाटू श्याम जी,
आई फागण की ग्यारस,
आपा पैदल चालां ला रे,
खाटू श्याम जी।

अहलवती को कंवर लाडलो,
भगता को रखवालो है,
तीन बाणधारी मारो बाबो,
लीले घोड़े वालो है,
दीन दुखिया रो बाबो,
करे बेड़ो पार,
खाटू श्याम जी,
आई फागण की ग्यारस,
आपा पैदल चालां ला रे,
खाटू श्याम जी।

कलयुग में हो बाबा थारो,
पर्चो हद भारी है,
तू ही म्हारो कृष्ण कन्हैयो,
बण आयो अवतारी है,
जो कोई साचे मन सूं ध्यावे,
बेड़ो कर दे पार,
खाटू श्याम जी,
आई फागण की ग्यारस,
आपा पैदल चालां ला रे,
खाटू श्याम जी।

खाटू माहि विराजे बाबो,
सब का कष्ट मिटावे है,
भक्त मंडल चरणों में बाबा,
आकर शीश नवावे है,
लोचन की अर्जी सुन लीजो,
करजो बेड़ो पार,
खाटू श्याम जी,
आई फागण की ग्यारस,
आपा पैदल चालां ला रे,
खाटू श्याम जी।


बाबा श्याम धनी का फागण - SAMPAT DADHICH श्याम की होली- ASMEDIA LIVE

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सुंदर भजन में खाटू श्याम जी के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति का भाव प्रवाहित होता है। जब भक्त अपने ईष्ट के प्रति पूर्ण समर्पित होता है, तब उसकी हर यात्रा एक आध्यात्मिक अनुष्ठान में परिवर्तित हो जाती है। पैदल यात्रा केवल बाहरी कर्म नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धि और आस्था का प्रतीक बन जाती है।

खाटू श्याम जी, जिन्हें हारे का सहारा कहा जाता है, अपने भक्तों के संकटों को हरते हैं और उन्हें आश्रय प्रदान करते हैं। उनकी कृपा असीम है, और जो भी सच्चे मन से उनका स्मरण करता है, वह भवसागर को पार करने की राह पर बढ़ जाता है। भजन में उनकी दिव्यता को अत्यंत भावप्रवण रूप से प्रस्तुत किया गया है—वे भक्तों के रक्षक हैं, संकटमोचक हैं, और मार्गदर्शक हैं।

जब प्रेम और भक्ति मिलते हैं, तब हर कार्य एक साधना बन जाता है। भक्त की प्रार्थना केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि उसका प्रत्येक कर्म उसकी भक्ति को व्यक्त करता है। यही भाव इस भजन में प्रकट होता है—जहाँ यात्रा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आत्मा की ऊर्ध्वगति है।

खाटू श्याम जी की कृपा भक्त को उस दिव्य अनुभूति तक ले जाती है, जहाँ उसके संपूर्ण कष्ट समाप्त हो जाते हैं, और वह परम शांति को प्राप्त करता है। यही विश्वास प्रत्येक हृदय में जाग्रत होना चाहिए—जहाँ समर्पण ही सच्ची मुक्ति की राह बन जाता है।

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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