काँई म्हारो जमण बारम्बरा मीरा बाई पदावली
काँई म्हारो जमण बारम्बरा
काँई म्हारो जमण बारम्बर।
पूरबला कोई पुन्न खूँट्याँ माणसा अवतार।
बढ़्या छिण छिण घट्या पल पल, जात णा कछु बार।
बिरछरां जो पात टूट्या, लाया णा फिर डार।
भो समुन्द अपार देखां अगम ओखी धार।
लाल गिरधर तरण तारण, बेग करस्यो पार।
दासी मीराँ लाल गिरधर, जीवणा दिन च्यार।।
बन्सी तूं कवन गुमान भरी ॥ध्रु०॥
आपने तनपर छेदपरंये बालाते बिछरी ॥१॥
जात पात हूं तोरी मय जानूं तूं बनकी लकरी ॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर राधासे झगरी बन्सी ॥३॥
लाज रखो तुम मेरी प्रभूजी । लाज रखो तुम मेरी ॥ध्रु०॥
जब बैरीने कबरी पकरी । तबही मान मरोरी ॥ प्रभुजी० ॥१॥
मैं गरीब तुम करुनासागर । दुष्ट करत बलजोरी ॥ प्रभुजी० ॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । तुम पिता मैं छोरी ॥ प्रभुजी० ॥३॥
बागनमों नंदलाल चलोरी ॥ अहालिरी ॥ध्रु॥
चंपा चमेली दवना मरवा । झूक आई टमडाल ॥च०॥१॥
बागमों जाये दरसन पाये । बिच ठाडे मदन गोपाल ॥च०॥२॥
मीराके प्रभू गिरिधर नागर । वांके नयन विसाल ॥च०॥३॥
मोरी आंगनमों मुरली बजावेरे । खिलावना देवूंगी ॥ध्रु०॥
नाच नाच मोरे मन मोहन । मधुर गीत सुनावुंगी ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । हरिके चरन बल जाऊंगी ॥३॥
(काँई=कोई
नहीं, पूरबल=पूर्व जन्म का, खूँट्याँ=प्रकट हुआ, माणसा=मनुष्य का,
बार=देर, बिरछराँ=वृक्ष का, भो समुन्द=भवसागर, ओखी=विकट, तरण=तरणी,नौका,
वेग=शीघ्र, दिन च्यार=चार दिन,थोड़े दिन के लि)