भई हों बाबरी सुनके बांसरी लिरिक्स

भई हों बाबरी सुनके बांसरी लिरिक्स

भई हों बाबरी सुनके बांसरी
भई हों बाबरी सुनके बांसरी, हरि बिनु कछु न सुहाये माई।।टेक।।
श्रवन सुनल मेरी सुध बुध बिसरी, लगी रहत तामें मन की गांसूँ री।
नैम धरम कोन कीनी मुरलिया, कोन तिहारे पासूँ, री।
मीरां के प्रभु बस कर लीने, सप्त ताननि की फाँसूँ री।।
 
गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे॥ध्रु०॥
स्मशानावासी भूषणें भयंकर। पागट जटा शीरीरे॥१॥
व्याघ्रकडासन आसन जयाचें। भस्म दीगांबरधारीरे॥२॥
त्रितिय नेत्रीं अग्नि दुर्धर। विष हें प्राशन करीरे॥३॥
मीरा कहे प्रभू ध्यानी निरंतर। चरण कमलकी प्यारीरे॥४॥

गांजा पीनेवाला जन्मको लहरीरे॥ध्रु०॥
स्मशानावासी भूषणें भयंकर। पागट जटा शीरीरे॥१॥
व्याघ्रकडासन आसन जयाचें। भस्म दीगांबरधारीरे॥२॥
त्रितिय नेत्रीं अग्नि दुर्धर। विष हें प्राशन करीरे॥३॥
मीरा कहे प्रभू ध्यानी निरंतर। चरण कमलकी प्यारीरे॥४॥

गोपाल राधे कृष्ण गोविंद॥ गोविंद॥ध्रु०॥
बाजत झांजरी और मृंदग। और बाजे करताल॥१॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे। गलां बैजयंती माल॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। भक्तनके प्रतिपाल॥३॥
(श्रवण=कान, गाँसु=फन्दा, नेम=नियम, कोन=कौन-सा, सप्त ताननि की=सात स्वरों की (सात स्वर ये हैं-सा रे गा मा पा धा नी)
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