कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे मीरा बाई पदावली
कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे
कारे कारे सबसे बुरे ओधव प्यारे॥टेक॥
कारेको विश्वास न कीजे अतिसे भूल परे॥१॥
काली जात कुजात कहीजे। ताके संग उजरे॥२॥
श्याम रूप कियो भ्रमरो। फुलकी बास भरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। कारे संग बगरे॥४॥
शाम बन्सीवाला कन्हैया । मैं ना बोलूं तुजसेरे ॥ध्रु०॥
घर मेरा दूर घगरी मोरी भारी । पतली कमर लचकायरे ॥१॥
सास नंनदके लाजसे मरत हूं । हमसे करत बलजोरी ॥२॥
मीरा तुमसो बिगरी । चरणकमलकी उपासीरे ॥३॥
कृष्ण करो जजमान ॥ प्रभु तुम ॥ध्रु०॥
जाकी किरत बेद बखानत । सांखी देत पुरान ॥ प्रभु०२॥
मोर मुकुट पीतांबर सोभत । कुंडल झळकत कान ॥ प्रभु०३॥
मीराके प्रभू गिरिधर नागर । दे दरशनको दान ॥ प्रभु०४॥
तुम बिन मेरी कौन खबर ले । गोवर्धन गिरिधारीरे ॥ध्रु०॥
मोर मुगुट पीतांबर सोभे । कुंडलकी छबी न्यारीरे ॥ तुम०॥१॥
भरी सभामों द्रौपदी ठारी । राखो लाज हमारी रे ॥ तुम० ॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । चरनकमल बलहारीरे ॥ तुम० ॥३॥
हातकी बिडिया लेव मोरे बालक । मोरे बालम साजनवा ॥ध्रु०॥
कत्था चूना लवंग सुपारी बिडी बनाऊं गहिरी ।
केशरका तो रंग खुला है मारो भर पिचकारी ॥१॥
पक्के पानके बिडे बनाऊं लेव मोरे बालमजी ।
हांस हांसकर बाता बोलो पडदा खोलोजी ॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर बोलत है प्यारी ।
अंतर बालक यारो दासी हो तेरी ॥३॥
पग घुंगरू पग घुंगरू बांधकर नाचीरे ॥ध्रु०॥
मैं अपने तो नारायणकी । हो गई आपही दासीरे ॥१॥
विषका प्याला राजाजीनें भेजा । पीवत मीरा हासीरे ॥२॥
लोक कहे मीरा भईरे बावरी । बाप कहे कुलनासीरे ॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । हरिचरनकी दासीरे ॥४॥