जावो हरि निरमोहिड़ा लिरिक्स Javo Hari Nirmohida Lyrics

जावो हरि निरमोहिड़ा लिरिक्स Javo Hari Nirmohida Lyrics

जावो हरि निरमोहिड़ा
जावो हरि निरमोहिड़ा, जाणी थाँरी प्रीत ।।टेक।।
लगन लगी जब प्रीत और ही, अब कुछ अवली रीत।
अम्रित प्याय कै विष क्य दीजै, कूण गाँव की रीत । मीराँ कहै प्रभु गिरधरनागर, आप गरज के मीत।।
(निरमोहिड़ा=निर्मोही, अवली=दूसरा,उलटा, रीत=ढंग, कूण गाँव की=किस स्थान की, गरज के=स्वार्थ के)
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