आज अनारी ले गयो सारी
आज अनारी ले गयो सारी, बैठी कदम की डारी, हे माय।।टेक।।
म्हारे गेल पड़्यो गिरधारी है माय, आज अनारी।
मैं जल चमुना भर गई थी, आ गयो कृश्न मुरारी, हे माय।
ले गयो सारी अनारी म्हारी, जल में ऊभी उधारी, हे माय।
सखी साइनि मोरी हँसत है, हंसि हंसि दे मोंहि तारी, हे माय।
सास बुरी अर नणद हठीली, लरि लरि दे मोहिं गारी, हे माय।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, चरण कमल की बारी, हे माय।।
(अनारी=नटखट,शरारती। सारी=साड़ी,वस्त्र, गेल=साथ,पीछे,
ऊभी=खड़ी, उधारी=निरवस्त्र, साइनि=सदा साथ रहने वाली,
तारी=ताली, बारी=न्यौछावर)
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