आसा प्रभु जाण, न दीजै हो मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics
आसा प्रभु जाण, न दीजै हो
आसा प्रभु जाण, न दीजै हो ।।टेक।।
तन मन धन करि वारणै, हिरदे धरि लीजै, हो।
आव सखी मुख देखिये, नैणां रस पीजै, हो।
जिह जिह विधि रीझै हरि कोई विधि कीजै, हो।
तन मन धन करि वारणै, हिरदे धरि लीजै, हो।
आव सखी मुख देखिये, नैणां रस पीजै, हो।
जिह जिह विधि रीझै हरि कोई विधि कीजै, हो।
सुन्दर स्याम सुहावणा, देख्यां जीजै हो।
मीराँ के प्रभउ राम जी, बड़ भागण रीझै, हो।।
(वारणै=न्यौछावर करना, आव=आओ, जिंह-जिंह=जिस जिस, रीझै=प्रसन्न होना, जीजै=जीवित रहना, बढ़ भागण=बड़े भाग्य वाली)
मीराँ के प्रभउ राम जी, बड़ भागण रीझै, हो।।
(वारणै=न्यौछावर करना, आव=आओ, जिंह-जिंह=जिस जिस, रीझै=प्रसन्न होना, जीजै=जीवित रहना, बढ़ भागण=बड़े भाग्य वाली)
रास रमाडवानें वनमां तेड्या मोहन मुरली सुनावीरे ॥१॥
माता जसोदा शाख पुरावे केशव छांट्या धोळीरे ॥२॥
हमणां वेण समारी सुती प्रेहरी कसुंबळ चोळीरे ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त चोरीरे ॥४॥
चालने सखी दही बेचवा जइये । ज्या सुंदर वर रमतोरे ॥ध्रु०॥
प्रेमतणां पक्कान्न लई साथे । जोईये रसिकवर जमतोरे ॥१॥
मोहनजी तो हवे भोवो थयो छे । गोपीने नथी दमतोरे ॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । रणछोड कुबजाने गमतोरे ॥३॥
कठण थयां रे माधव मथुरां जाई । कागळ न लख्यो कटकोरे ॥ध्रु०॥
अहियाथकी हरी हवडां पधार्या । औद्धव साचे अटक्यारे ॥१॥
अंगें सोबरणीया बावा पेर्या । शीर पितांबर पटकोरे ॥२॥
गोकुळमां एक रास रच्यो छे । कहां न कुबड्या संग अतक्योरे ॥३॥
कालीसी कुबजा ने आंगें छे कुबडी । ये शूं करी जाणे लटकोरे ॥४॥
ये छे काळी ने ते छे । कुबडी रंगे रंग बाच्यो चटकोरे ॥५॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर । खोळामां घुंघट खटकोरे ॥६॥