आवो मनमोहन जी मीठो थारो बोल मीराबाई
आवो मनमोहन जी मीठो थारो बोल मीरा बाई पदावली
आवो मनमोहन जी मीठो थारो बोल
आवो मनमोहन जी मीठो थारो बोल।।टेक।।
बालपनाँ की प्रीत रमइयाजी, कदे नाहिं आयो थारो तोल।
बालपनाँ की प्रीत रमइयाजी, कदे नाहिं आयो थारो तोल।
दरसण बिनान मोहि जक न परत है; चित मेरो डावाँडोल।
मीराँ कहै मै भई बाबरी, कहो तो बजाऊँ ढोल।।
(बोल=बाणी, कहे नाहि=कभी भी नहीं, जक=चैन)
मीराँ कहै मै भई बाबरी, कहो तो बजाऊँ ढोल।।
(बोल=बाणी, कहे नाहि=कभी भी नहीं, जक=चैन)
मनमोहन की मधुर वाणी और प्रेम का आह्वान मन को बेकरार कर देता है। बचपन की वह प्रीत, जो कभी कम नहीं हुई, आज भी हृदय में रमी है, जैसे कोई अनमोल राग सदा गूंजता रहे। उनके दर्शन बिना मन को चैन नहीं, चित्त डोलता रहता है, मानो कोई नाव बिना पतवार के भटक रही हो।
मीरा का मन बावरा हो गया, वह प्रभु के प्रेम में डूबकर ढोल बजाने को तैयार है। जैसे कोई दीवाना प्रियतम की एक झलक के लिए सारी मर्यादाएँ भूल जाए, वैसे ही यह भक्ति मन को केवल उनके प्रेम और दर्शन की चाह में लीन कर देती है। यह वह प्रेम है, जो आत्मा को प्रभु के रंग में रंगकर जीवन को सार्थक बनाता है।
मीरा का मन बावरा हो गया, वह प्रभु के प्रेम में डूबकर ढोल बजाने को तैयार है। जैसे कोई दीवाना प्रियतम की एक झलक के लिए सारी मर्यादाएँ भूल जाए, वैसे ही यह भक्ति मन को केवल उनके प्रेम और दर्शन की चाह में लीन कर देती है। यह वह प्रेम है, जो आत्मा को प्रभु के रंग में रंगकर जीवन को सार्थक बनाता है।
nb-2019-09-18-आवो मन मोहना जी मीठा मीठा थारा बोल ।
अजब सलुनी प्यारी मृगया नैनों । तें मोहन वश कीधोरे ॥ध्रु०॥
गोकुळमां सौ बात करेरे बाला कां न कुबजे वश लीधोरे ॥१॥
मनको सो करी ते लाल अंबाडी अंकुशे वश कीधोरे ॥२॥
लवींग सोपारी ने पानना बीदला राधांसु रारुयो कीनोरे ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त दीनोरे ॥४॥
आतुर थई छुं सुख जोवांने घेर आवो नंद लालारे ॥ध्रु०॥
गौतणां मीस करी गयाछो गोकुळ आवो मारा बालारे ॥१॥
मासीरे मारीने गुणका तारी टेव तमारी ऐसी छोगळारे ॥२॥
कंस मारी मातपिता उगार्या घणा कपटी नथी भोळारे ॥३॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर गुण घणाज लागे प्यारारे ॥४॥
अरज करे छे मीरा रोकडी । उभी उभी अरज ॥ध्रु०॥
माणिगर स्वामी मारे मंदिर पाधारो सेवा करूं दिनरातडी ॥१॥
फूलनारे तुरा ने फूलनारे गजरे फूलना ते हार फूल पांखडी ॥२॥
फूलनी ते गादी रे फूलना तकीया फूलनी ते पाथरी पीछोडी ॥३॥
पय पक्कानु मीठाई न मेवा सेवैया न सुंदर दहीडी ॥४॥
लवींग सोपारी ने ऐलची तजवाला काथा चुनानी पानबीडी ॥५॥
सेज बिछावूं ने पासा मंगावूं रमवा आवो तो जाय रातडी ॥६॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर तमने जोतमां ठरे आखडी ॥७॥
आज मारे साधुजननो संगरे राणा । मारा भाग्ये मळ्यो ॥ध्रु०॥
साधुजननो संग जो करीये पियाजी चडे चोगणो रंग रे ॥१॥
सीकुटीजननो संग न करीये पियाजी पाडे भजनमां भंगरे ॥२॥
अडसट तीर्थ संतोनें चरणें पियाजी कोटी काशी ने कोटी गंगरे ॥३॥
निंदा करसे ते तो नर्क कुंडमां जासे पियाजी थशे आंधळा अपंगरे ॥४॥
मीरा कहे गिरिधरना गुन गावे पियाजी संतोनी रजमां शीर संगरे ॥५॥
गोकुळमां सौ बात करेरे बाला कां न कुबजे वश लीधोरे ॥१॥
मनको सो करी ते लाल अंबाडी अंकुशे वश कीधोरे ॥२॥
लवींग सोपारी ने पानना बीदला राधांसु रारुयो कीनोरे ॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर चरणकमल चित्त दीनोरे ॥४॥
आतुर थई छुं सुख जोवांने घेर आवो नंद लालारे ॥ध्रु०॥
गौतणां मीस करी गयाछो गोकुळ आवो मारा बालारे ॥१॥
मासीरे मारीने गुणका तारी टेव तमारी ऐसी छोगळारे ॥२॥
कंस मारी मातपिता उगार्या घणा कपटी नथी भोळारे ॥३॥
मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर गुण घणाज लागे प्यारारे ॥४॥
अरज करे छे मीरा रोकडी । उभी उभी अरज ॥ध्रु०॥
माणिगर स्वामी मारे मंदिर पाधारो सेवा करूं दिनरातडी ॥१॥
फूलनारे तुरा ने फूलनारे गजरे फूलना ते हार फूल पांखडी ॥२॥
फूलनी ते गादी रे फूलना तकीया फूलनी ते पाथरी पीछोडी ॥३॥
पय पक्कानु मीठाई न मेवा सेवैया न सुंदर दहीडी ॥४॥
लवींग सोपारी ने ऐलची तजवाला काथा चुनानी पानबीडी ॥५॥
सेज बिछावूं ने पासा मंगावूं रमवा आवो तो जाय रातडी ॥६॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर तमने जोतमां ठरे आखडी ॥७॥
आज मारे साधुजननो संगरे राणा । मारा भाग्ये मळ्यो ॥ध्रु०॥
साधुजननो संग जो करीये पियाजी चडे चोगणो रंग रे ॥१॥
सीकुटीजननो संग न करीये पियाजी पाडे भजनमां भंगरे ॥२॥
अडसट तीर्थ संतोनें चरणें पियाजी कोटी काशी ने कोटी गंगरे ॥३॥
निंदा करसे ते तो नर्क कुंडमां जासे पियाजी थशे आंधळा अपंगरे ॥४॥
मीरा कहे गिरिधरना गुन गावे पियाजी संतोनी रजमां शीर संगरे ॥५॥
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