पिया म्हाँरे नैणा आगां रहज्यो जी भजन

पिया म्हाँरे नैणा आगां रहज्यो जी भजन

पिया म्हाँरे नैणा आगां रहज्यो जी
पिया म्हाँरे नैणा आगां रहज्यो जी।।टेक।।
नैणाँ आगाँ रहज्यो, म्हाँणो भूल णो जाज्यो जी।
भौ सागर म्हाँ बूड्या चाहाँ, स्याम बेग सुब लीज्यो जी।
राणा भेज्या विष रो प्यालो, थें इमरत वर दीज्यो जी।
मीराँ रे प्रभु गिरधरनागर, मिल बछूडन मत कीज्यो जी।।
(जाज्यो=जाना, बूड्या=डूबना)
 
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कालोकी रेन बिहारी। महाराज कोण बिलमायो॥ध्रु०॥
काल गया ज्यां जाहो बिहारी। अही तोही कौन बुलायो॥१॥
कोनकी दासी काजल सार्यो। कोन तने रंग रमायो॥२॥
कंसकी दासी काजल सार्यो। उन मोहि रंग रमायो॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। कपटी कपट चलायो॥४॥

किन्ने देखा कन्हया प्यारा की मुरलीवाला॥ध्रु०॥
जमुनाके नीर गंवा चरावे। खांदे कंबरिया काला॥१॥
मोर मुकुट पितांबर शोभे। कुंडल झळकत हीरा॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर। चरन कमल बलहारा॥३॥

बादल देख डरी हो, स्याम! मैं बादल देख डरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।
काली-पीली घटा ऊमड़ी बरस्यो एक घरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।
जित जाऊँ तित पाणी पाणी हुई भोम हरी।।
जाका पिय परदेस बसत है भीजूं बाहर खरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।
मीरा के प्रभु हरि अबिनासी कीजो प्रीत खरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।
 
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