गिरधारी शरणां थारी आयाँ मीरा बाई पदावली
गिरधारी शरणां थारी आयाँ
गिरधारी शरणां थारी आयाँ, राख्याँ किर्पानिधान।।टेक।।
अजामील अपराधी तार्यां तार्या नीच सदाण।
डूबतां गजराज राख्याँ गणिका चढ़्या बिमाण।
अवर अधम बहुत थें तार्या, भाख्याँ सणत सुजाण।
भीलण कुबजा तार्यां गिरधर, जाण्याँ सकल जहाण।
बिरद बखाणाँ गणतां जा जाणा, थाकाँ वेद पुराण।
मीराँ प्रभु री शरण रावली, बिणता दीस्यो काण।।
(किर्पानिधान=कृपासागर,
अजामिल=एक व्यक्ति का नाम, सदाण=सदना,एक व्यक्ति का नाम, चढ़ा बिमाण=विमान
पर चढ़ाकर, अवर अधम=और दूसरे पापी, सणत=सन्त, भीलण कुवजा=कुब्जा भीलिनी,
जहाण=जहान,संसार, विरद=यश, बखाणाँ=बखान करना, विणता=विनती, काण=कान)
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बन्सी तूं कवन गुमान भरी॥ध्रु०॥
आपने तनपर छेदपरंये बालाते बिछरी॥१॥
जात पात हूं तोरी मय जानूं तूं बनकी लकरी॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर राधासे झगरी बन्सी॥३॥