अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे पदावली
अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे मीरा बाई पदावली
अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे
अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे।।टेक।।
जाकी प्रीति लगी लालन से, कँचन मिला सुहागा रे।
हँसा की प्रकृति हँसा जाने, का जाने मर कागा रे।
तन भी लागा, मन भी लागा, ज्यूँ बाभण गल धागा रे।
मीराँ के प्रभु गिरधरनागर, भाग हमारा जागा रे।।
जाकी प्रीति लगी लालन से, कँचन मिला सुहागा रे।
हँसा की प्रकृति हँसा जाने, का जाने मर कागा रे।
तन भी लागा, मन भी लागा, ज्यूँ बाभण गल धागा रे।
मीराँ के प्रभु गिरधरनागर, भाग हमारा जागा रे।।
(लालन=कृष्ण, कंचन=सोना, हँसा=हँस, प्रकृति= स्वभाव मर=बेचारा, कागा=कौवा, बाभण=ब्राह्मण, धागा=यज्ञोपवीत,जनेऊ, भाग=भाग्य)
आत्मा जब प्रभु की शरण में आती है, तो उसका हर संकट, हर बोझ उनके चरणों में समर्पित हो जाता है। यह विश्वास कि प्रभु ने बाँह थाम ली है, वह शक्ति देता है, जो जीवन की हर लाज को निभा देती है। जैसे कोई बच्चा माँ की गोद में निश्चिंत हो जाता है, वैसे ही भक्त प्रभु की कृपा में सुरक्षित हो जाता है।
प्रभु वह समर्थ सखा है, जो हर कार्य को सुधार देता है। यह संसार भवसागर है, जहाँ लहरें डराती हैं, पर प्रभु वह नाविक है, जो झयाज बनकर पार लगाता है। बिना उनके आधार के जगत में कुछ भी सार्थक नहीं, जैसे बिना जड़ के वृक्ष नहीं उगता। वे ही जगत के गुरु हैं, जिनके बिना हर प्रयास अधूरा रहता है।
युगों-युगों से प्रभु ने भक्तों की पुकार सुनी, उनकी रक्षा की, और मोक्ष का द्वार खोला। यह करुणा वह सूरज है, जो हर अंधेरे को मिटा देता है। चरणों की शरण में पड़कर आत्मा केवल एक ही प्रार्थना करती है—हे महाराज, मेरी लाज रखो। यह समर्पण वह बंधन है, जो कभी टूटता नहीं, और भक्त को सदा प्रभु के रंग में रंगाए रखता है।
प्रभु वह समर्थ सखा है, जो हर कार्य को सुधार देता है। यह संसार भवसागर है, जहाँ लहरें डराती हैं, पर प्रभु वह नाविक है, जो झयाज बनकर पार लगाता है। बिना उनके आधार के जगत में कुछ भी सार्थक नहीं, जैसे बिना जड़ के वृक्ष नहीं उगता। वे ही जगत के गुरु हैं, जिनके बिना हर प्रयास अधूरा रहता है।
युगों-युगों से प्रभु ने भक्तों की पुकार सुनी, उनकी रक्षा की, और मोक्ष का द्वार खोला। यह करुणा वह सूरज है, जो हर अंधेरे को मिटा देता है। चरणों की शरण में पड़कर आत्मा केवल एक ही प्रार्थना करती है—हे महाराज, मेरी लाज रखो। यह समर्पण वह बंधन है, जो कभी टूटता नहीं, और भक्त को सदा प्रभु के रंग में रंगाए रखता है।