अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे मीरा बाई पदावली
अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे
अब कोऊ कछु कहो दिल लागा रे।।टेक।।
जाकी प्रीति लगी लालन से, कँचन मिला सुहागा रे।
हँसा की प्रकृति हँसा जाने, का जाने मर कागा रे।
तन भी लागा, मन भी लागा, ज्यूँ बाभण गल धागा रे।
मीराँ के प्रभु गिरधरनागर, भाग हमारा जागा रे।।
(लालन=कृष्ण, कंचन=सोना, हँसा=हँस, प्रकृति=
स्वभाव मर=बेचारा, कागा=कौवा, बाभण=ब्राह्मण,
धागा=यज्ञोपवीत,जनेऊ, भाग=भाग्य)