कागळ कोण लेई जायरे मीरा बाई पदावली Padawali Meera Bai Meera Bhajan Hindi Lyrics
कागळ कोण लेई जायरे
कागळ कोण लेई जायरे मथुरामां वसे रेवासी मेरा प्राण पियाजी॥टेक॥
ए कागळमां झांझु शूं लखिये। थोडे थोडे हेत जणायरे॥१॥
मित्र तमारा मळवाने इच्छे। जशोमती अन्न न खाय रे॥२॥
सेजलडी तो मुने सुनी रे लागे। रडतां तो रजनी न जायरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल तारूं त्यां जायरे॥४॥
ए कागळमां झांझु शूं लखिये। थोडे थोडे हेत जणायरे॥१॥
मित्र तमारा मळवाने इच्छे। जशोमती अन्न न खाय रे॥२॥
सेजलडी तो मुने सुनी रे लागे। रडतां तो रजनी न जायरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल तारूं त्यां जायरे॥४॥
हृदय तुमकी करवायो । हूं आलबेली बेल रही कान्हा ॥१॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे । मुरली क्यौं बजावे कान्हा ॥२॥
ब्रिंदाबनमों कुंजगलनमों । गड उनकी चरन धुलाई ॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । घर घर लेऊं बलाई ॥४॥
मनमोहन गिरिवरधारी ॥ध्रु०॥
मोर मुकुट पीतांबरधारी । मुरली बजावे कुंजबिहारी ॥१॥
हात लियो गोवर्धन धारी । लिला नाटकी बांकी गत है न्यारी ॥२॥
ग्वाल बाल सब देखन आयो । संग लिनी राधा प्यारी ॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । आजी आईजी हमारी फेरी ॥४॥
बालपनमों बैरागन करी गयोरे ॥ध्रु०॥
खांदा कमलीया तो हात लकरीया । जमुनाके पार उतारगयोरे ॥१॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावत । बनसीकी टेक सुनागयोरे ॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । सावली सुरत दरशन दे गयोरे ॥३॥
लटपटी पेचा बांधा राज ॥ध्रु०॥
सास बुरी घर ननंद हाटेली । तुमसे आठे कियो काज ॥१॥
निसीदन मोहिके कलन परत है । बनसीनें सार्यो काज ॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधन नागर । चरन कमल सिरताज ॥३॥
राजा थारे कुबजाही मन मानी । म्हांसु आ बोलना ॥ध्रु०॥
रसकोबी हरि छेला हारियो बनसीवाला जादु लाया ।
भुलगई सुद सारी ॥१॥
तुम उधो हरिसो जाय कैहीयो । कछु नही चूक हमारी ॥२॥
मिराके प्रभु गिरिधर नागर । चरण कमल उरधारी ॥३॥
मोर मुकुट पीतांबर शोभे । मुरली क्यौं बजावे कान्हा ॥२॥
ब्रिंदाबनमों कुंजगलनमों । गड उनकी चरन धुलाई ॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । घर घर लेऊं बलाई ॥४॥
मनमोहन गिरिवरधारी ॥ध्रु०॥
मोर मुकुट पीतांबरधारी । मुरली बजावे कुंजबिहारी ॥१॥
हात लियो गोवर्धन धारी । लिला नाटकी बांकी गत है न्यारी ॥२॥
ग्वाल बाल सब देखन आयो । संग लिनी राधा प्यारी ॥३॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । आजी आईजी हमारी फेरी ॥४॥
बालपनमों बैरागन करी गयोरे ॥ध्रु०॥
खांदा कमलीया तो हात लकरीया । जमुनाके पार उतारगयोरे ॥१॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावत । बनसीकी टेक सुनागयोरे ॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधर नागर । सावली सुरत दरशन दे गयोरे ॥३॥
लटपटी पेचा बांधा राज ॥ध्रु०॥
सास बुरी घर ननंद हाटेली । तुमसे आठे कियो काज ॥१॥
निसीदन मोहिके कलन परत है । बनसीनें सार्यो काज ॥२॥
मीराके प्रभु गिरिधन नागर । चरन कमल सिरताज ॥३॥
राजा थारे कुबजाही मन मानी । म्हांसु आ बोलना ॥ध्रु०॥
रसकोबी हरि छेला हारियो बनसीवाला जादु लाया ।
भुलगई सुद सारी ॥१॥
तुम उधो हरिसो जाय कैहीयो । कछु नही चूक हमारी ॥२॥
मिराके प्रभु गिरिधर नागर । चरण कमल उरधारी ॥३॥