बादला रे थें जल भर्या आज्यो लिरिक्स

बादला रे थें जल भर्या आज्यो लिरिक्स

बादला रे थें जल भर्या आज्यो
बादला रे थें जल भर्या आज्यो।।टेक।।
झर झर बूँदा बरसां आली कोयल सबद सुनाज्यो।
गाज्यां बाज्यां पवन मधुर्यो, अम्बर बदरां छाज्यो।
सेज सवांर्या पिय घर आस्यां सखायं मंगल गास्यो।
मीरां रे हरि अबिणासी, भाग भल्यां जिण पास्यो।।
(आली=सखी, बून्दाँ=बून्दें, मधुर्यो,मधुरियो=मन्द-मन्द, सेझ=सेज,शैया, सवारयां=सजा दी, भाग=भाग्य)
 
जाके मथुरा कान्हांनें घागर फोरी, घागरिया फोरी दुलरी मोरी तोरी॥ध्रु०॥
ऐसी रीत तुज कौन सिकावे। किलन करत बलजोरी॥१॥
सास हठेली नंद चुगेली। दीर देवत मुजे गारी॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरनकमल चितहारी॥३॥

जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन।
रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे।
गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे।
उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे ।
ग्वाल बाल सब करत कोलाहल जय जय सबद उचारे ।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर शरण आया कूं तारे ॥

जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं॥
हरि छो जी हिरदा माहिं पट खोलो क्यूं नहीं॥
तन मन सुरति संजोइ सीस चरणां धरूं।
जहां जहां देखूं म्हारो राम तहां सेवा करूं॥
सदकै करूं जी सरीर जुगै जुग वारणैं।
छोड़ी छोड़ी लिखूं सिलाम बहोत करि जानज्यौ।
बंदी हूं खानाजाद महरि करि मानज्यौ॥
हां हो म्हारा नाथ सुनाथ बिलम नहिं कीजिये।
मीरा चरणां की दासि दरस फिर दीजिये॥
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