जागो बंसी वारे जागो मोरे ललन। रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे। गोपी दही मथत सुनियत है कंगना के झनकारे। उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाढ़े द्वारे । ग्वाल बाल सब करत कोलाहल जय जय सबद उचारे । मीरा के प्रभु गिरधर नागर शरण आया कूं तारे ॥
जागो म्हांरा जगपतिरायक हंस बोलो क्यूं नहीं॥ हरि छो जी हिरदा माहिं पट खोलो क्यूं नहीं॥ तन मन सुरति संजोइ सीस चरणां धरूं। जहां जहां देखूं म्हारो राम तहां सेवा करूं॥ सदकै करूं जी सरीर जुगै जुग वारणैं। छोड़ी छोड़ी लिखूं सिलाम बहोत करि जानज्यौ। बंदी हूं खानाजाद महरि करि मानज्यौ॥ हां हो म्हारा नाथ सुनाथ बिलम नहिं कीजिये। मीरा चरणां की दासि दरस फिर दीजिये॥