आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट
आओ मनमोहना जी जोऊं थांरी बाट।।टेक।।
खान पान मोहि नैक न भावै नैणन लगे कपाट॥
तुम आयां बिन सुख नहिं मेरे दिल में बहोत उचाट।
मीरा कहै मैं बई रावरी, छांड़ो नाहिं निराट॥
(जोऊं थांरी(थारी) बाट=तेरी राह देखती हूं, आयां बिन=
बिना आये, उचाट=बेचैनी, निराट=असहाय)