बागनमों नंदलाल चलोरी
बागनमों नंदलाल चलोरी
बागनमों नंदलाल चलोरी
बागनमों नंदलाल चलोरी॥ अहालिरी॥टेक॥
चंपा चमेली दवना मरवा। झूक आई टमडाल॥१॥
बागमों जाये दरसन पाये। बिच ठाडे मदन गोपाल॥२॥
मीराके प्रभू गिरिधर नागर। वांके नयन विसाल॥३॥
बागनमों नंदलाल चलोरी॥ अहालिरी॥टेक॥
चंपा चमेली दवना मरवा। झूक आई टमडाल॥१॥
बागमों जाये दरसन पाये। बिच ठाडे मदन गोपाल॥२॥
मीराके प्रभू गिरिधर नागर। वांके नयन विसाल॥३॥
मन नंदलाल के साथ बाग में भटकने को आतुर है, जहां प्रकृति का सौंदर्य प्रभु के प्रेम से सजा है। चंपा, चमेली, और मरवा की सुगंध हवा में बिखरी है, पेड़ों की डालियां झुकी हैं, मानो प्रभु का स्वागत कर रही हों। बाग में पहुंचकर उनके दर्शन का सुख आत्मा को मिलता है, जहां मदन गोपाल बीच में खड़े, सबको मोह रहे हैं। मीरां का मन गिरधर के विशाल नयनों में डूबा है, जो प्रेम और कृपा से भरे हैं। यह भक्ति का वह मार्ग है, जहां प्रकृति और प्रभु का मिलन मन को आनंद से भर देता है।
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या ॥
नचावे हरि की मैय्या, नचावे प्रभु की मैय्या ॥
ढूध न पीवे लाला, दही हूं न खावे ॥
माखन-मिसरी को, बड़ो रे खवैईया॥
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या ॥
नचावे हरि की मैय्या, नचावे प्रभु की मैय्या ॥
टोपी न पेहरे लाला फैटा ना बांधे ॥
मोर-मुकुट को है, बडो रे पहरैया ॥
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या ॥
शोल ना ओढ़े लाला, पजामा ना पेहरै ॥
पिताम्बर को है, बडो रे पहरैईया॥
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या॥
(Music)
चंद्रसखी लख बाल कृष्ण छवी
हस हस कंठ लगावे हरि की मैय्या॥
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या॥
नचावे हरि की मैय्या, नचावे प्रभु की मैय्या ॥
(संकिर्तन)
नचावे हरि की मैय्या, नचावे प्रभु की मैय्या ॥
ढूध न पीवे लाला, दही हूं न खावे ॥
माखन-मिसरी को, बड़ो रे खवैईया॥
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या ॥
नचावे हरि की मैय्या, नचावे प्रभु की मैय्या ॥
टोपी न पेहरे लाला फैटा ना बांधे ॥
मोर-मुकुट को है, बडो रे पहरैया ॥
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या ॥
शोल ना ओढ़े लाला, पजामा ना पेहरै ॥
पिताम्बर को है, बडो रे पहरैईया॥
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या॥
(Music)
चंद्रसखी लख बाल कृष्ण छवी
हस हस कंठ लगावे हरि की मैय्या॥
नाचे नन्दलाल, नचावे हरि की मैय्या॥
नचावे हरि की मैय्या, नचावे प्रभु की मैय्या ॥
(संकिर्तन)
जमुनाजीको तीर दधी बेचन जावूं॥ध्रु०॥
येक तो घागर सिरपर भारी दुजा सागर दूर॥१॥
कैसी दधी बेचन जावूं एक तो कन्हैया हटेला दुजा मखान चोर॥ कैसा०॥२॥
येक तो ननंद हटेली दुजा ससरा नादान॥३॥
है मीरा दरसनकुं प्यासी। दरसन दिजोरे महाराज॥४॥
जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया। बीच खडा तोरो लाल कन्हैया॥ध्रु०॥
ब्रिदाबनके मथुरा नगरी पाणी भरणा। कैशी जाऊं मोरे सैंया॥१॥
हातमों मोरे चूडा भरा है। कंगण लेहेरा देत मोरे सैया॥२॥
दधी मेरा खाया मटकी फोरी। अब कैशी बुरी बात बोलु मोरे सैया॥३॥
शिरपर घडा घडेपर झारी। पतली कमर लचकया सैया॥४॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलजाऊ मोरे सैया॥५॥
जल कैशी भरुं जमुना भयेरी॥ध्रु०॥
खडी भरुं तो कृष्ण दिखत है। बैठ भरुं तो भीजे चुनडी॥१॥
मोर मुगुटअ पीतांबर शोभे। छुम छुम बाजत मुरली॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चणरकमलकी मैं जेरी॥३॥
येक तो घागर सिरपर भारी दुजा सागर दूर॥१॥
कैसी दधी बेचन जावूं एक तो कन्हैया हटेला दुजा मखान चोर॥ कैसा०॥२॥
येक तो ननंद हटेली दुजा ससरा नादान॥३॥
है मीरा दरसनकुं प्यासी। दरसन दिजोरे महाराज॥४॥
जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया। बीच खडा तोरो लाल कन्हैया॥ध्रु०॥
ब्रिदाबनके मथुरा नगरी पाणी भरणा। कैशी जाऊं मोरे सैंया॥१॥
हातमों मोरे चूडा भरा है। कंगण लेहेरा देत मोरे सैया॥२॥
दधी मेरा खाया मटकी फोरी। अब कैशी बुरी बात बोलु मोरे सैया॥३॥
शिरपर घडा घडेपर झारी। पतली कमर लचकया सैया॥४॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलजाऊ मोरे सैया॥५॥
जल कैशी भरुं जमुना भयेरी॥ध्रु०॥
खडी भरुं तो कृष्ण दिखत है। बैठ भरुं तो भीजे चुनडी॥१॥
मोर मुगुटअ पीतांबर शोभे। छुम छुम बाजत मुरली॥२॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चणरकमलकी मैं जेरी॥३॥