परदा मुख से हटा मुरलीवाले

परदा मुख से हटा मुरलीवाले

परदा मुख से हटा मुरलीवाले
तेरी मैफिल में आये दीवाने,
तूने मुखड़ा था इस में छुपाया
सारे भगतो को पागल बनाया,
हम को यु न सत्ता मुरली वाले
तेरी महफ़िल में आये दीवाने,

दिल करे तेरा दीदार पाये,
मन के मंदिर में तुझको वसाये,
हम से नजरे मिला मुरली वाले,
तेरी महफ़िल में आये दीवाने,

सारी दुनियाँ से नाता है तोडा,
अब तेरे संग नाता है जोड़ा,
हम को अपना बना मुरली वाले,
तेरी महफ़िल में आये दीवाने,



सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के दर्शन की तीव्र अभिलाषा और उनके प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाया गया है। यह भाव बताता है कि जब भक्त प्रभु की महफ़िल में आता है, तब उसकी एकमात्र आकांक्षा उनके दिव्य रूप के दर्शन करना और उनके प्रेम में रम जाना होता है।

यह अनुभूति भक्त के समर्पण को प्रकट करती है—जहाँ वह संसार के समस्त बंधनों को छोड़कर केवल श्रीकृष्णजी का ही सहारा स्वीकार करता है। उनकी छवि को देखने की यह उत्कट इच्छा प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाती है, जहाँ मनुष्य ईश्वर से जुड़ने के लिए व्याकुल हो उठता है।

श्रीकृष्णजी का प्रेम ऐसा है, जो आत्मा को अपने मधुर आकर्षण से बांध लेता है। जब भक्त उनसे अपनी दृष्टि मिलाने की याचना करता है, तब वह केवल बाहरी रूप को देखने की नहीं, बल्कि उनके प्रेम और कृपा का अनुभव करने की प्रार्थना करता है।

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