बुजदिलों को ही सदा मौत से डरते देखा लिरिक्स

बुजदिलों को ही सदा मौत से डरते देखा लिरिक्स

बुजदिलों को ही सदा मौत से डरते देखा,
गो कि सौ बार उन्हें रोज़ ही मरते देखा।

मौत से वीर को, हमने नहीं डरते देखा,
तख्ता-ए-मौत पै भी खेल ही करते देखा।

मौत को एक बार जब आना है, तो डरना क्या है,
हम सदा खेल ही समझा किये, मरना क्या है।

वतन हमेशा रहे शादकाम, औ' आजाद,
हमारा क्या है अगर हम रहे रहे न रहे।



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