रे दिल गाफिल गफलत मत कर एक दिना जम आवेगा॥ टेक॥ सौदा करने या जग आया पूजी लाया मूल गँवाया प्रेमनगर का अन्त न पाया ज्यों आया त्यों जावेगा॥ १॥ सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता या जीवन में क्या क्या कीता सिर पाहन का बोझा लीता आगे कौन छुड़ावेगा॥ २॥ परलि पार तेरा मीता खडिया
उस मिलने का ध्यान न धरिया टूटी नाव उपर जा बैठा गाफिल गोता खावेगा॥ ३॥ दास कबीर कहै समुझाई अन्त समय तेरा कौन सहाई चला अकेला संग न को किया अपना पावेगा॥ ४॥
कबीरदास जी के इस भजन में मानव हृदय को संबोधित करते हुए जीवन की नश्वरता और आत्मज्ञान की महत्ता पर बल दिया गया है। आइए, प्रत्येक पद की सरल हिंदी में व्याख्या को जान लेते हैं -
टेक: "रे दिल गाफिल गफलत मत कर, एक दिना जम आवेगा।" हे अचेत मन, आलस्य मत कर; एक दिन यमराज (मृत्यु) अवश्य आएंगे।
"सौदा करने या जग आया, पूजी लाया मूल गँवाया।
Kabir Ke Dohe Hindi Meaning With Hindi Vyakhya
प्रेमनगर का अन्त न पाया, ज्यों आया त्यों जावेगा।" तुम इस संसार में व्यापार करने आए थे, पूंजी (जीवन) लाए, लेकिन उसे व्यर्थ गंवा दिया। प्रेमनगर (आध्यात्मिक आनंद) को नहीं पाया, और जैसे आए थे, वैसे ही चले जाओगे।
"सुन मेरे साजन सुन मेरे मीता, या जीवन में क्या-क्या कीता। सिर पाहन का बोझा लीता, आगे कौन छुड़ावेगा।" मेरे प्रिय मित्र, सुनो! इस जीवन में तुमने क्या-क्या किया? अपने सिर पर पत्थर (पापों) का बोझ उठाया; आगे कौन तुम्हें इससे मुक्त करेगा?
"परलि पार तेरा मीता खडिया, उस मिलने का ध्यान न धरिया। टूटी नाव उपर जा बैठा, गाफिल गोता खावेगा।" दूसरे किनारे (परलोक) पर तुम्हारा मित्र (ईश्वर) खड़ा है, लेकिन तुमने उससे मिलने का ध्यान नहीं किया। तुम टूटी नाव (अस्थिर जीवन) पर बैठ गए हो; हे अचेत मन, तुम डूब जाओगे।
"दास कबीर कहै समुझाई, अन्त समय तेरा कौन सहाई। चला अकेला संग न को, किया अपना पावेगा।" दास कबीर समझाते हैं कि अंत समय में तुम्हारा कोई सहायक नहीं होगा। तुम अकेले ही जाओगे; जो कर्म किए हैं, उनका फल पाओगे।
इस प्रकार, कबीरदास जी हमें सचेत करते हैं कि जीवन क्षणभंगुर है। हमें आलस्य छोड़कर आत्मज्ञान और प्रेममार्ग की ओर अग्रसर होना चाहिए, क्योंकि मृत्यु अवश्यंभावी है और हमारे कर्म ही हमारे साथ जाएंगे।
वर्तमान
समय में आध्यात्मिक साधना के लिए समय नहीं है। कबीर उदहारण देकर समझाते
हैं की जीवन में ईश्वर भक्ति का महत्त्व है। जीवन की उत्पत्ति के समय सर के
बल निचे झुक कर मा की गर्भ के समय को याद रखना चाहिए। हमने अपने बाहर एक
आवरण बना रखा है। जीवन में सुख सुविधा जुटाने की दौड़ में हमारा जीवन बीतता
चला जा रहा है और हम ईश्वर से दूर होते जा रहे हैं। जीवन क्षण भंगुर है और
समय रहते ईश्वर का ध्यान आवशयक है। अर्घ कपाले झूलता, सो दिन करले याद
जठरा सेती राखिया, नाहि पुरुष कर बाद।
आठ पहर यूॅ ही गया, माया मोह जंजाल
राम नाम हृदय नहीं, जीत लिया जम काल।
ऐक दिन ऐसा होयेगा, सब सो परै बिछोह
राजा राना राव रंक, साबधान क्यो नहिं होये।