ऐ मातृभूमि तेरी जय हो

ऐ मातृभूमि तेरी जय हो

ऐ मातृभूमि तेरी जय हो
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो ।
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो ।

अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में,
संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो ।

तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो ।
तेरी प्रसन्नता ही आनन्द का विषय हो ।

वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल' सुख में तुझे न भूले,
वह शक्ति दे कि दुःख में कायर न यह हृदय हो ।




इस देशभक्ति गीत में मातृभूमि के प्रति अनन्य भक्ति और उसकी जय-विजय की कामना का गहरा उदगार है। भारत माता की महिमा ऐसी है कि हर भक्त का हृदय उनके चरणों में सुख, शांति, और कान्ति से भर जाए। जैसे सूरज अंधेरी रात को उजाले से भर देता है, वैसे ही माता की प्रभा अज्ञान और दुख की दिशाओं को प्रकाशित करे।

उनका प्रकोप विश्व का महाप्रलय हो सकता है, लेकिन उनकी प्रसन्नता ही सच्चा आनंद है। यह प्रार्थना है कि भक्ति ऐसी हो कि सुख में माता को न भूलें, और शक्ति ऐसी कि दुख में हृदय कायर न बने। यह भाव आत्मा को प्रेरित करता है कि मातृभूमि की सेवा में समर्पित जीवन ही सच्चा धर्म है, जो गर्व, शांति, और अमरता की ओर ले जाता है।
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