देश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर
देश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर हो
देश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर होदेश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर हो
हाथ में हो हथकड़ी, पैरों पड़ी ज़ंजीर हो
सर कटे, फाँसी मिले, या कोई भी तद्बीर हो
पेट में ख़ंजर दुधारा या जिगर में तीर हो
आँख ख़ातिर तीर हो, मिलती गले शमशीर हो
मौत की रक्खी हुई आगे मेरे तस्वीर हो
मरके मेरी जान पर ज़ह्मत बिला ताख़ीर हो
और गर्दन पर धरी जल्लाद ने शमशीर हो
ख़ासकर मेरे लिए दोज़ख़ नया तामीर हो
अलग़रज़ जो कुछ हो मुम्किन वो मेरी तहक़ीर हो
हो भयानक से भयानक भी मेरा आख़ीर हो
देश की सेवा ही लेकिन इक मेरी तक़्सीर हो
इससे बढ़कर और भी दुनिया में कुछ ताज़ीर हो
मंज़ूर हो, मंज़ूर हो मंज़ूर हो, मंज़ूर हो
मैं कहूँगा ’राम’ अपने देश का शैदा हूँ मैं
फिर करूँगा काम दुनिया में अगर पैदा हूँ मैं
इस देशभक्ति गीत में वतन के लिए सर्वस्व न्योछावर करने का गहरा उदगार है। हथकड़ी, जंजीर, फांसी, या खंजर—हर यातना स्वीकार है, अगर वह देश की सेवा में हो। जैसे दीपक जलकर भी रोशनी देता है, वैसे ही भक्त मृत्यु को भी गले लगाने को तैयार है, बशर्ते वतन की आन बनी रहे।
शमशीर, तीर, या दोजख की भयानक सजा भी उसे डिगा नहीं सकती, क्योंकि देश की सेवा उसका एकमात्र धर्म है। हर तहकीर, हर ताजीर मंजूर है, अगर वह मातृभूमि के लिए हो। यह संकल्प कि मरकर भी वह देश का नाम रोशन करेगा और पुनर्जनम में फिर सेवा करेगा, यह दर्शाता है कि सच्चा देशप्रेम अमर है। यह भाव आत्मा को प्रेरित करता है कि वतन के लिए हर बलिदान सार्थक है, जो गर्व, शांति, और अमरता की ओर ले जाता है।