रहीम के दोहे हिंदी में Raheem Ke Dohe Hindi Me Texy Lyrics
जब लगि जीवन जगत में, सुख दुख मिलन अगोट ।रहिमन फूटे गोट ज्यों, परत दुहुँन सिर चोट ॥
जब लगि बित्त न आपुने, तब लगि मित्र न कोय ।
रहिमन अंबुज अंबु बिनु, रवि नाहिंन हित होय ॥
ज्यों नाचत कठपूतरी, करम नचावत गात ।
अपने हाथ रहीम ज्यों, नहीं आपुने हाथ ॥
जलहिं मिलाय रहीम ज्यों, कियो आपु सम छीर ।
अँगवहि आपुहि आप त्यों, सकल आँच की भीर ॥
जहाँ गाँठ तहँ रस नहीं, यह रहीम जग जोय ।
मँड़ए तर की गाँठ में, गाँठ गाँठ रस होय ॥
जानि अनीती जे करैं, जागत ही रह सोइ ।
ताहि सिखाइ जगाइबो, रहिमन उचित न होइ ॥
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह ।
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़त छोह ॥
जे गरीब पर हित करैं, ते रहीम बड़ लोग ।
कहाँ सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग ॥
जे रहीम बिधि बड़ किए, को कहि दूषन काढ़ि ।
चंद्र दूबरो कूबरो, तऊ नखत तें बाढि ॥
जे सुलगे ते बुझि गए, बुझे ते सुलगे नाहिं ।
रहिमन दोहे प्रेम के, बुझि बुझि कै सुलगाहिं ॥
जेहि अंचल दीपक दुर्यो, हन्यो सो ताही गात ।
रहिमन असमय के परे, मित्र शत्रु ह्वै जात ॥
जेहि रहीम तन मन लियो, कियो हिए बिच भौन ।
तासों दुख सुख कहन की, रही बात अब कौन॥
जैसी जाकी बुद्धि है, तैसी कहै बनाय ।
ताकों बुरा न मानिए, लेन कहाँ सो जाय ॥
जसी परै सो सहि रहै, कहि रहीम यह देह ।
धरती पर ही परत है, शीत घाम औ मेह ॥
जैसी तुम हमसों करी, करी करो जो तीर ।
बाढ़े दिन के मीत हौ, गाढ़े दिन रघुबीर ॥
जो अनुचितकारी तिन्हैं, लगै अंक परिनाम ।
लखे उरज उर बेधियत, क्यों न होय मुख स्याम ॥
जो घर ही में घुस रहे, कदली सुपत सुडील ।
तो रहीम तिनतें भले, पथ के अपत करील ॥
जो पुरुषारथ ते कहूँ, संपति मिलत रहीम ।
पेट लागि वैराट घर, तपत रसोई भीम ॥
जो बड़ेन को लघु कहें, नहिं रहीम घटि जाँहि ।
गिरधर मुरलीधर कहे, कछु दुख मानत नाहिं ॥
जो मरजाद चली सदा, सोई तौ ठहराय ।
जो जल उमगै पारतें, सो रहीम बहि जाय ॥