आए हैं शरण तेरी गुरुदेव कृपा कर दो

आए हैं शरण तेरी गुरुदेव कृपा कर दो

 आए हैं शरण तेरी, गुरुदेव कृपा कर दो।
इस दीन-दुखी मन में, आनंद सुधा भर दो।।

दुनिया से हार करके, अब द्वार तेरे आया।
श्रद्धा के सुमन चुनके, सद्भाव से हूँ लाया।।
करुणा का हाथ सिर पर, हे नाथ मेरे धर दो।।

अनजानी मंजिल है, चहुं दिशा में अंधियारा।
करुणा निधान, अब तो बस है तेरा सहारा।।
टूटी मन वीणा में, मेरे भक्ति का स्वर भर दो।।


Aaye Hain Sharan Teri, Gurudev Kripa Kardo| Hindi Guru Bhajan

सुन्दर भजन में गुरु की शरणागति का भाव मुखरित होता है। जब संसार की कठिनाइयाँ मन को हताश कर देती हैं, जब कोई सहारा नहीं दिखता, तब आत्मा गुरु की शरण में आकर सच्चे मार्गदर्शन की याचना करती है। श्रद्धा और विनम्रता से भरे हृदय को गुरु की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।

जिसने संसार में भटकते हुए सत्य की खोज की, वह अंततः गुरु के द्वार पर आकर वास्तविक शांति का अनुभव करता है। श्रद्धा के सुमन अर्पित करने वाला मन दिव्यता से भर जाता है। गुरु की करुणा से जीवन की पीड़ा मिटती है, और साधक सुख व संतोष की अनुभूति करता है।

गुरु वह दीप हैं जो अंधकार में रास्ता दिखाते हैं। जब कोई जीवन की अनिश्चितताओं से घिर जाता है, गुरु का आशीर्वाद मार्गदर्शन का प्रकाश बनता है। उनकी कृपा से भक्ति का स्वर पुनः जागृत होता है, और आत्मा का संगीत दिव्य हो उठता है।

गुरु की कृपा से जीवन की दिशा स्पष्ट होती है। जो शुद्ध भाव से उनके चरणों में समर्पण करता है, उसे आंतरिक आनंद की सुधा प्राप्त होती है। सच्चे हृदय से की गई याचना व्यर्थ नहीं जाती—गुरु अपने अनुग्रह से भक्त को परमानंद का अनुभव कराते हैं। उनके सानिध्य में साधक का जीवन सहज, कृतार्थ और मंगलमय होता है। 

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