रोज मेरी दीवाली तेरे दर्शन भजन

रोज मेरी दीवाली तेरे दर्शन भजन

रोज मेरी दीवाली तेरे दर्शन मुझको हो जाते,
तेरी किरपा के चलते ही बाबा मौज उड़ाते,
रोज मेरी दीवाली तेरे दर्शन मुझको हो जाते।

पूछते है लोक सारे कैसी है दिवाली,
सांवरे की लौ मैंने दिल में जगा ली,
धनतेरस की लक्ष्मी बरखा आंबे रोज लुटा दे,
रोज मेरी दीवाली तेरे दर्शन मुझको हो जाते।

पाके तुझको निखर गया हूँ,
पहले से ज्यादा संवर गया हूँ,
रूप चौदस की तरह,
रोज तुम मुझको हो चमकाते,
रोज मेरी दीवाली तेरे दर्शन मुझको हो जाते।

रोज तेरे नाम के दीप जलाऊं,
श्याम कहे अपनी सबको बताऊँ,
मावस के सारे अंधियारे घर से दूर भगा दे,
रोज मेरी दीवाली तेरे दर्शन मुझको हो जाते।


Meri Diwali Tere Darshan | Prabal Goyal | Khatu Shyam Bhajan

हर दिन जब भक्त को श्रीकृष्णजी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है, तो वह पर्व की तरह उल्लासित हो जाता है। यह भजन दर्शाता है कि ईश्वर के सान्निध्य में हर दिन दिवाली के समान है—जहाँ हृदय में कृपा की आभा जगमगाती है और भक्त के जीवन में अनंत आनंद का अनुभव होता है।

सांवरे की लौ जगाने का यह भाव केवल एक भावनात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धता और ईश्वरीय प्रेम का प्रतीक है। धनतेरस, रूप चौदस, दीपावली—ये सभी त्योहार केवल प्रतीक हैं उस उज्ज्वल सत्य का, जो भक्त के अंतःकरण में निरंतर प्रकाशित होता है।

जब ईश्वर का नाम दीपों की तरह हृदय में जलाया जाता है, तो सभी अंधकार दूर हो जाते हैं। सांसारिक मायाओं का भ्रम मिट जाता है, और आत्मा उस शाश्वत प्रकाश में लीन हो जाती है, जहाँ केवल प्रेम और समर्पण ही शेष रहता है।

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