सावरे मेरी भी तू लाज रख ले भजन

सावरे मेरी भी तू लाज रख ले भजन

सावरे मेरी भी तू लाज रख ले,
खाटू धाम में अपने तू साथ रखले,
लाज रख ले लाज रख ले...

दुनिया में मेरी जगह कही भी नही,
किसी की भी आस यहाँ टूटती नही,
चरणों में मुझे दीना नाथ रखले,
खाटू धाम में अपने तू साथ रखले,
लाज रख ले लाज रख ले...

कितने गमो ने गेरा मुझे संवारे,
आस लेके आया हु मैं तेरे पास रे,
मुझे श्याम बस एक रात रखले,
खाटू धाम में अपने तू साथ रखले,
लाज रख ले लाज रख ले...

हारे का सहारा है तू जग जानता,
शर्मा सहारा श्याम अब मांगता,
मेरी नही अपनी ही बात रख ले,
खाटू धाम में अपने तू साथ रखले,
लाज रख ले लाज रख ले...

 सुन्दर भजन “सावरे मेरी भी तू लाज रख ले” में खाटू श्याम जी के प्रति भक्त की मार्मिक पुकार और उनके प्रति पूर्ण समर्पण का हृदयस्पर्शी चित्रण है। श्रीकृष्ण के सांवरिया रूप, खाटू श्याम, से भक्त अपनी लाज बचाने और उनके चरणों में स्थान पाने की विनती करता है। वह कहता है कि दुनिया में उसका कोई ठिकाना नहीं, पर श्याम का दर वह पावन स्थल है, जहाँ कोई आशा टूटती नहीं। जैसे एक बालक माता की गोद में शरण माँगता है, वैसे ही भक्त श्याम के खाटू धाम में साथ और कृपा की याचना करता है। यह उद्गार सिखाता है कि सच्ची भक्ति में प्रभु की शरण ही हर दुख से मुक्ति और सम्मान का मार्ग है।

भक्त अपनी गमों से घिरी जिंदगी को श्याम के सामने रखता है, यह विश्वास रखते हुए कि उनकी कृपा से सारी मुश्किलें मिट जाएँगी। वह हारे का सहारा कहे जाने वाले श्याम से एक रात की शरण माँगता है, जो उसकी जिंदगी को संवार दे। शर्मा जैसे भक्त अपनी नहीं, बल्कि श्याम की महिमा की बात रखने की प्रार्थना करते हैं, यह दर्शाते हुए कि उनकी कृपा ही भक्त की असली पूँजी है। जैसे वर्षा सूखी धरती को हरा करती है, वैसे ही श्याम बाबा की कृपा भक्त के जीवन को सुख, शांति, और सम्मान से भर देती है। यह भाव प्रदर्शित करता है कि खाटू धाम वह ठिकाना है, जहाँ श्याम बाबा हर भक्त की लाज रखते हैं और उसे अपनाकर धन्य करते हैं।

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