सांवरे सलौने तेरे नैन कजरारे भजन
सांवरे सलौने तेरे नैन कजरारे भजन
सँवारे सलोने तेरे नैन कजरारे,इन में ना जाने कहीं
खो गया है मेरा दिल।
इनमे ना जाने कही खो गया है मेरा दिल,
इनमे ना जाने कही खो गया है मेरा दिल,
मोर मुकट माथे पर जैसे चमके चाँद सितारे,
जब से निहारा तेरा हो गया है मेरा दिल,
सँवारे सलोने तेरे नैन कजरारे,
इन में ना जाने कहीं
खो गया है मेरा दिल।
मुख पे चन्दन महक रहा है,
अधर पे मुरली सोहे,
रूप तुम्हारा ओ सांवरिया भक्तो का मन मोहे,
मोरछड़ी हाथो में तुमने सबके काज संवारे,
नजर ना लगे बाबा गाल पे लगा दो काला तिल,
सँवारे सलोने तेरे नैन कजरारे,
इन में ना जाने कहीं
खो गया है मेरा दिल।
किस बगिया से फूल मंगवाए,
सब के मन को भाये,
कजरा पर है इतर छिड़का,
मंदिर को महकाये,
चंवर ढुलाए सेवा प्यारे सूंदर लगे नजारे,
तेरा प्यार पा कर लगदा,
मिल गई मुझे मंजिल,
सँवारे सलोने तेरे नैन कजरारे,
इन में ना जाने कहीं
खो गया है मेरा दिल।
माथे ऊपर छतर छाया,
कान में कुण्डल साजे,
श्याम नाम का डंका गूंजे,
घर घर श्याम विराजे,
नाम रटे अविनाश तुम्हारा,
जब तक चले ये सांसे,
सोनी जब शरण में आया,
मिल ही गया साहिल,
सँवारे सलोने तेरे नैन कजरारे,
इन में ना जाने कहीं
खो गया है मेरा दिल।
श्रृंगार | सांवले सलोने तेरे नैन कजरारे | इन में न जाने कहीं खो गया दिल | Avinash Sharma
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी के रूप और प्रेम की ऐसी महिमा है, जो मन को उनके रंग में रंग देती है। उनके कजरारे नैनों में कुछ ऐसा जादू है कि दिल कहीं खो सा जाता है, जैसे कोई अनमोल खजाना उनकी एक नजर में ही समा जाए। उनके माथे पर मोर मुकुट चांद-सितारों की तरह चमकता है, जो हर भक्त के मन को मोह लेता है।
श्रीकृष्णजी का रूप ऐसा है कि चंदन की महक और मुरली की मधुरता मन को बांध लेती है। उनकी मोरछड़ी हर काम को संवार देती है, जैसे कोई सच्चा साथी हर मुश्किल को आसान कर दे। यह पुकार है कि उनके गाल पर काला तिल लग जाए, ताकि उनके इस सुंदर रूप को नजर न लगे। यह एक सादे मन की चाहत है, जो अपने सांवरे की सुंदरता को हर पल निहारना चाहता है।
उनके प्रेम में ऐसा सुगंधित रंग है, जैसे कोई फूलों की बगिया मन को महका दे। उनकी सेवा में चंवर ढुलाने का सुख ऐसा है, मानो हर नजारा स्वर्ग-सा लगे। यह विश्वास है कि उनके प्रेम में डूबकर जीवन की हर मंजिल मिल जाती है, जैसे कोई तट पर पहुंचकर ठहर जाए।
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