जीवन है तेरे हवाले मुरलिया वाले लिरिक्स Jiwan Hai Tere Hawale Lyrics

जीवन है तेरे हवाले मुरलिया वाले लिरिक्स Jiwan Hai Tere Hawale Lyrics

जीवन है तेरे हवाले मुरलिया वाले लिरिक्स Jiwan Hai Tere Hawale Lyrics
 
जीवन है तेरे हवाले, मुरलिया वाले
प्यारे मुरलिया वाले, बांके मुरलिया वाले
जीवन है तेरे हवाले...

हम तो कठपुतली तेरे हाथ की
तेरे हाथ की, तेरे हाथ की,
चाहे तू जैसे नचाले, मुरलिया वाले
जीवन है तेरे हवाले...

हम तो हैं मुरली तेरे हाथ की
तेरे हाथ की, तेरे हाथ की,
चाहे तू जैसे बजाले, मुरलिया वाले
जीवन है तेरे हवाले...

मेरे अपने हुए हैं बेगाने
अब तू ही अपनाले, मुरलिया वाले
जीवन है तेरे हवाले...

हम दीवाने सब तेरे मोहन,
अब तो गले लगाले, मुरलिया वाले
जीवन है तेरे हवाले...

हम तो हैं दासी तेरे चरणों कीतेरे चरणों की, तेरे चरणों की,
अब तो चरणों में बसाले, मुरलिया वाले

जीवन है तेरे हवाले...

अपने चरण का दास बनाले,
अपने चरण का, अपने चरण का
वृंदावन में बसाले, मुरलिया वाले
जीवन है तेरे हवाले...


श्री कृष्ण के उपदेश :
  • सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति को इस लोक में तो क्या किसी भी लोक में शांति प्राप्त नहीं हो सकती है। 
  • क्रोध समस्त समस्याओं का कारक है। क्रोध से भ्रम पैदा होता है जिससे बुद्धि  और तर्क नष्ट हो जाते हैं इसलिए क्रोध नहीं करना चाहिए। 
  • मन चंचल होता है इसलिए उसे सैदव वश में रखना चाहिए। अनियंत्रित मन शत्रु के समान होता है। अशांत मन को भी यत्नपूर्वक वश में किया जा सकता है।
  • व्यक्ति को कर्म करने चाहिए फल की आशा त्याग देनी चाहिए। परिणाम को लेकर चिंतित व्यक्ति कर्म से विमुख हो जाता है। 
  • व्यर्थ में चिंता करना छोड़ दो। आत्मा अजर और अमर है। तुम्हे कोई नहीं मार सकता है। तुम शरीर नहीं आत्मा हो। भूत और भविष्य की चिंता मत करों। 
  • तुम क्या लाये थे जो खो गया है। तुमने जो लिया वो यही से लिया और जो दिया वो भी यही पर दिया। तुम्हारा कुछ है ही नहीं। जिसे तुम अपना समझते हो वो तुम्हारा नहीं है। 
  • परिवर्तन संसार का नियम। है इस श्रष्टि की हर वस्तु परिवर्तनशील है। इसलिए परिवर्तन देखकर निराश नहीं होना चाहिए। हर परिस्थिति में सम भाव रखना चाहिए। यही मानसिक शांति का आधार है। 
  • यह शरीर पंचतत्वों से बना है। ये तुम्हारा नहीं हैं। तुम आत्मा तो जो कभी मरती नहीं हैं। तुम्हारा शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाएगा लेकिन आत्मा अमर रहेगी। 
  • जो भी तुम करते हो वो ईश्वर को अर्पित करते चलो इससे तुम्हे आत्मिक सतुष्टि प्राप्त होगी।

कौन हैं श्री देवकीनंद ठाकुर : श्री देवकीनंद जी को "ठाकुर " जी के नाम से जाना जाता है। ये भगवत गीता के मुख्य प्रचारक और धार्मिक उपदेशक हैं। ठाकुर जी का जन्म १२ सितम्बर १९७८ को ब्राह्मण परिवार में हुआ है। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में अहोवा गाँव में हुआ है। श्री देवकीनंदन जी महाराज को शांतिदूत के नाम से भी जाना जाता है। इन्हे इनके भागवत कथा के दौरान मानवतावादी दृष्टिकोण के लिए सराहा जाता है। दुनिया भर में लोग इनके प्रवचन की सराहना करते हैं और इन्हे महान उपदेशक के रूप में जाना जाता है। इनकी कथाओं में हजारों लोगो का जमावड़ा होता है और बड़े ही ध्यान से लोग इनकी कथा का आनंद लेते है। 

बचपन से ही ठाकुर जी भक्ति भाव में रूचि रखते थे और श्री कृष्ण का सुमिरन करते थे। बाल्य काल में ही उन्होंने घर का त्याग करके वृन्दावन में श्रीधाम में रहने लगे। आगे चलकर उन्होंने निम्बार्क संप्रदाय में अपनी शिक्षा दीक्षा ली। वृंदावन में रहते हुए उन्होंने आध्यात्मिक और श्रीमद भागवत गीता का ज्ञान प्राप्त किया और उसी समय से वे भगवत कथा के प्रचार में लग गए और कथा वाचन करने लगे जिसे लोगों ने खूब सराहा है। भारत में ही नहीं विदेशों में भी ठाकुर जी के प्रवचनों को खूब सुना जाता है। भारत भर में उनके भगवत के कारकर्म होते रहते हैं इसके अलावा अमेरिका, सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया, डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे और हॉलैंड आदि देशों में उनके कथा वाचन के कार्यक्रम आयोजित किये जा चुके हैं।

विश्व शांति के लिए उन्होंने 20 अप्रेैल 2006 में विश्व शान्ति सेवा चैररिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। आर्थिक स्तर पर हासिये पर आये लोगों के आलावा यह ट्रस्ट बेघर और बुजुर्गों की सहायता करता है। इसके आलावा यह ट्रस्ट गौ रक्षा, गंगा यमुना प्रदुषण, जल एंव वन संरक्षण, दहेज़ प्रथा , छुआछूत और ऊंच नीच, नव पीढ़ी में संस्कारों के निर्माण के लिए कार्य करता है। कथा वाचन के दौरान ठाकुर जी लोगों को समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियों के प्रति सचेत करते हैं और उन्हें सद्मार्ग की और अग्रसर करते हैं। ठाकुर जी गौ रक्षा के लिए देशभर में रैलियों के माध्यम से लोगों को सचेत करते हैं उन्होंने कानपुर, मुम्बई, भागलपुर, विलासपुर, होशंगाबाद, वृन्दावन, नागपुर आदि में रैलिओं के माध्यम से लाखों लोगों को इस हेतु सचेत किया है।

अपने प्रवचनों में ठाकुर जी उद्देश्य भगवत कथा पाठ के साथ साथ ज्वलंत सामाजिक मुद्दों पर लोगों का ध्यान खींचना होता है। अपने विचारों से वे लोगों के प्रश्नों का उत्तर भी देते हैं जिसे खूब सराहा जाता है। यही कारन है की उनके प्रवचन सुनने के लिए लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं और उनके विचारों का अनुसरण करते हैं। ठाकुर जी का जीवन समाज सेवा को समर्पित है। सोशल मीडिया पर उनके करोड़ों फॉलोवर्स हैं और यूट्यूब पर उनके भजन और कथा को बहुत सुना जाता है। 


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