सत्ता तुम्हारी भगवन जग में समा रही है
सत्ता तुम्हारी भगवन जग में समा रही है
सत्ता तुम्हारी भगवनजग में समा रही है,
तेरी दया सुगंधी,
हर गुल से आ रही है,
रवि चन्द्र और तारे, तूने बनाये सारे
इन सबमें ज्योति तेरी,
ही जगमगा रही है,
सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है |
सुंदर सुगंध वाले पुष्पों में रंग तेरा
हर ध्यान फूल पत्ती,
तेरा दिला रही है,
सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है |
दिन रात प्रात संध्या,
मध्यान्ह भी बनाया,
हर रुत पलट-पलट कर,
करतब दिखा रही है,
सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है |
विस्तृत वसुंधरा पर सागर बनाए तूने
तह जिनकी मोतियों से,
अब चमचमा रही है,
सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है |
05.03 SATTA TUMHARI BHAGWAN
सुंदर भजन में श्रीकृष्णजी की सर्वव्यापी शक्ति और उनकी अनंत कृपा का गुणगान है, जो इस सृष्टि के हर कण में झलकती है। यह वह अनुभव है, जो प्रकृति के हर रूप में प्रभु की मौजूदगी को देखता है, जैसे सूरज, चाँद, तारों की चमक में उनकी ज्योति नजर आती है। यह विश्वास है कि हर चीज, चाहे वह फूलों की सुगंध हो या सागर की गहराई, प्रभु की दया और शक्ति से ही सजीव है।
फूलों के रंग और उनकी खुशबू में प्रभु का सौंदर्य दिखता है, जैसे हर पत्ती और फूल उनकी महिमा का गीत गाता हो। यह वह भावना है, जो मन को प्रभु के प्रति कृतज्ञता से भर देती है, जैसे कोई विद्यार्थी प्रकृति के सौंदर्य को देखकर उसकी रचना के पीछे की शक्ति को समझने की कोशिश करता है। यह भक्ति का वह सरल रास्ता है, जो हर छोटी चीज में प्रभु को देखने की प्रेरणा देता है।
फूलों के रंग और उनकी खुशबू में प्रभु का सौंदर्य दिखता है, जैसे हर पत्ती और फूल उनकी महिमा का गीत गाता हो। यह वह भावना है, जो मन को प्रभु के प्रति कृतज्ञता से भर देती है, जैसे कोई विद्यार्थी प्रकृति के सौंदर्य को देखकर उसकी रचना के पीछे की शक्ति को समझने की कोशिश करता है। यह भक्ति का वह सरल रास्ता है, जो हर छोटी चीज में प्रभु को देखने की प्रेरणा देता है।
प्. आर्य नरेशदत्त जी / Arya Nareshji - Shivir Shivalay - 2017
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