सत्ता तुम्हारी भगवन जग में समा रही है

सत्ता तुम्हारी भगवन जग में समा रही है लिरिक्स

सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है,
तेरी दया सुगंधी,
हर गुल से आ रही है,
रवि चन्द्र और तारे, तूने बनाये सारे
इन सबमें ज्योति तेरी,
ही जगमगा रही है,
सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है |

सुंदर सुगंध वाले पुष्पों में रंग तेरा
हर ध्यान फूल पत्ती,
तेरा दिला रही है,
सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है |

दिन रात प्रात संध्या,
मध्यान्ह भी बनाया,
हर रुत पलट-पलट कर,
करतब दिखा रही है,
सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है |

विस्तृत वसुंधरा पर सागर बनाए तूने
तह जिनकी मोतियों से,
अब चमचमा रही है,
सत्ता तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है |

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